राजस्थान की खूबसूरत अरावली पहाड़ियां, यहाँ की सुंदरता को एक अलग रूप में पेश करती हैं क्योंकी जैसे ही राजस्थान राज्य का नाम हमारे सामने आता है तो सबसे पहले हमे यहाँ के रेगिस्तान और कच्छ का रण याद आता है लेकिन राजस्थान का एक अलग रूप यहाँ की अरावली पहाड़िया प्रदर्शित करती है, जो राजस्थान में बहने वाले झरने, झीलें, खूबसूरत पहाड़, और इन पहाड़ो में स्थित महादेव के प्राचीन मंदिरों को आपके सामने पेश करती हैं।
इन्ही अरावली पहाड़ियों में एक महादेव का प्राचीन मंदिर स्थित है, जो कई सौ वर्ष पुराना है और इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 50 फीट नीचे गुफा में लोहे की जंजीर की सहायता से उतरना होता है, जो “तिलकेश्वर महादेव मंदिर” के नाम से जाना जाता है। इस ब्लॉग में हम इसी प्राचीन मंदिर की यात्रा से सम्बंधित सभी जानकारियों को आपके साथ साझा करेंगे। तो ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़े…
तिलकेश्वर महादेव मंदिर कहाँ स्थित है?
तिलकेश्वर महादेव मंदिर राजस्थान के गोगुंडा में प्राचीन अरावली पहाड़ो में 50 फीट नीचे गुफा में स्थित है। यह मंदिर राजस्थान के झीलों के शहर उदयपुर से मात्र 84 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यहाँ पर आप उदयपुर से गाड़ी बुक करके या बाइक रेंट पर लेकर आसानी से पहुंच सकते हैं।
तिलकेश्वर महादेव मंदिर की कहानी
यह बहुत ही प्राचीन मंदिर है, जो कई सौ वर्ष पुराना है। इस मंदिर को लेकर एक बहुत ही रोचक कहानी बताई जाती है। ऐसा कहा जाता है की इस क्षेत्र में कई सौ वर्ष पूर्व भूमनु के पुत्र राजा तिलक राज्य करते थे, जो बहुत ही समृद्ध और शक्तिशाली थे लेकिन कुछ समय बाद उनके राज्य में भूख-मरी छाने लगी और राज्य हल्के-हल्के धन विहीन होने लगा। जिससे राजा तिलक बहुत दुखी हुए और उन्होंने अरावली के पहाड़ो की गुफा में कई वर्षो तक महादेव की आराधना की और महादेव का तिल से अभिषेक किया।
राजा तिलक की तपस्या से खुश होकर महादेव उन्हें आशीर्वाद देते हैं, और उनकी प्रजा और उन्हें धन समृद्धि का वरदान देते हैं। जिस जगह तिलकेश्वर महादेव मंदिर स्थित है, यह वही स्थान बताया जाता है, जहाँ राजा तिलक ने तपस्या की थी और उन्हें महादेव ने वरदान दिया था। पहले गुफा में एक शिला और कुछ मूर्तियों की पूजा की जाती थी लेकिन कुछ वर्ष पहले सावन के महीने में कुछ लोगो ने गुफा में 125 किलो की शिवलिंग और 50 किलो की नंदी बाबा की मूर्ति स्थापित की है। जिसकी अब वर्तमान समय में पूजा की जाती है।
तिलकेश्वर महादेव मंदिर की मान्यता
इस मंदिर को लेकर एक मान्यता है कि जो कोई भी इस मंदिर में सच्चे मन से किसी भी प्रकार के तिल (खासकर काले रंग के तिल) को मंदिर में चढ़ाता है, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। ऐसा इसलिए माना जाता ही क्योंकि राजा तिलक ने अपनी तपस्या के दौरान भगवान शिव को तिल अर्पित किये थे। आज वर्तमान समय में मंदिर में आने वाले श्रद्धालु फूल और काले तिल भगवान शिव को अर्पित करते हैं।
मंदिर का ट्रेक
इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको अरावली के एक पहाड़े से लगभग 50 फीट नीचे की ओर उतरना होगा। यह काफी कठिन ट्रेक होता है जिसमे पानी के झरने के पास से नीचे की ओर लोहे की जंजीरो की सहायता से उतरना होता है। गुफा में पहुंचने के बाद आपको अंदर की ओर लोहे की बनी सीढ़ियों से लगभग 15 फीट ऊपर चढ़ना होगा, जहाँ से आप तिलकेश्वर महादेव के दर्शन कर सकते हैं।
यह छोटा सा ट्रेक काफी कठिन है इसलिए बच्चे और बुजुर्गो के लिए यह ट्रेक करना सख्त मना है। जब आप मंदिर की गुफा की ओर उतरते हैं तो आपको-आपको एक-एक कदम बहुत ही ध्यान पूर्वक रखना होता है अन्यथा नीचे खाई में गिरने का खतरा रहता है। यदि आप पहली वार इस ट्रेक को कर रहे हैं, तो आप स्थानीय लोगो की सहायता ले सकते हैं।
मंदिर के आस-पास दुकाने
इस यात्रा के दौरान आप कुछ हल्का नाश्ता अपने साथ रखे क्यों की मंदिर के आस-पास पूरा जंगल एरिया है, जिस वजह से यहाँ पर किसी भी प्रकार की कोई भी खाने पीने की दूकान नहीं है।
मंदिर की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय
यदि इस मंदिर की यात्रा करने के सबसे अच्छे समय की बात करें तो वो जुलाई से नवंबर के बीच का है। इस मंदिर की यात्रा करने के लिए यह समय होता तो अनुकूल है लेकिन थोड़ा खतरों से भरा भी हो सकता है। इस प्राचीन मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको पानी के झरने के पास से होकर नीचे की ओर उतरना होता है।
जिस कारण मानसून के समय में अधिक बारिश होने पर पानी का वहाव तेज़ हो जाता है और ट्रेक खतरों से भरा हो जाता है। सावन के महीने में भी इस मंदिर की यात्रा करना बहुत ही शुभ और पावन माना जाता है, जिस वजह से सावन में हर सोमवार को श्रद्धालु मंदिर में जल चढ़ाने आते हैं।
दिन में यात्रा किस समय तक करें?
यदि आप इस मंदिर की यात्रा उदयपुर से शुरू कर रहें है तो जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी ही शुरू कर दें, जिससे आप शाम ढलने तक वहां से निकल सकें। उदयपुर से इस मंदिर की दूरी लगभग 84 किलोमीटर है और आप इस दूरी को लगभग 3 से 4 घण्टे में पूरा कर लोगे। उदयपुर से मंदिर तक का रास्ता काफी अच्छा है लेकिन अंत के कुछ किलोमीटर थोड़ा सुनसान और दोनों तरफ पहाड़ो से घिरा रास्ता है जिस कारण आप मंदिर से दर्शन करके जल्दी ही वापस अपने घर की ओर निकल जाएँ।
तिलकेश्वर महादेव मंदिर तक कैसे पहुंचे?
यह खूबसूरत और रोमांच से भरे मंदिर की दूरी उदयपुर से लगभग 84 किलोमीटर है। आप इस दूरी को प्राइवेट गाड़ी, सरकारी या प्राइवेट शेयरिंग बस द्वारा आसानी से पूरी कर सकते हैं। इसके अलावा आप उदयपुर से बाइक या स्कूटी रेंट पर ले सकते हैं, जिसके माध्यम से आप इस दूरी को आसानी से पूरी कर सकते हैं। मंदिर के निकट सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन उदयपुर रेलवे स्टेशन है, जो तिलकेश्वर मंदिर से 97 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके अलावा सबसे नजदीक एयरपोर्ट महाराणा प्रताप एयरपोर्ट है, जो उदयपुर में स्थित है।
- निकटतम रेलवे स्टेशन:- उदयपुर रेलवे स्टेशन
- निकटतम एयरपोर्ट:- महाराणा प्रताप एयरपोर्ट, उदयपुर