कोटि शिवलिंग पर्वत ओड़िशा | क्या है पर्वत पर मिलने वाली 1 करोड़ शिवलिंगो का इतिहास? पर्वत कहाँ स्थित है? पर्वत तक कैसे पहुंचे? आदि सभी जानकारी

भारत में ऐतिहासिक धरोहरों का खजाना छिपा हुआ है, जिसकी खोज निरंतर तौर पर होती आ रही है। इन धरोहरों में कुछ इतनी पुरानी विकसित सभ्यता के अंश मिलते हैं, जो सनातन सभ्यता की नीव को मजबूत और उसके प्रति आस्था को बढ़ाते हैं। भारत के ओड़िशा राज्य में एक ऐसे पर्वत की खोज हुयी, जिसकी खुदाई करने पर करोड़ो की संख्या में शिवलिंग मिली और अभी भी निरंतर तौर पर मिलती जा रही हैं। हम बात कर रहे हैं ओड़िशा के कोरापुट जिले के “कोटि शिवलिंग पर्वत” की, जिसकी खोज कुटुनीपदर के स्थानीय लोगो द्वारा लगभग 50 वर्ष पहले की गयी।

इस ब्लॉग में हम इसी कोटि शिवलिंग पर्वत की यात्रा से सम्बंधित सभी जानकारियों को आपके साथ साझा करेंगे जैसे- यह पर्वत कहाँ स्थित है? कोटि शिवलिंग पर्वत तक कैसे पहुंचे? क्या है इसकी कहानी? आदि। तो ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़े और अपनी ओड़िशा की ट्रिप के दौरान इस जगह, एक बार जरूर विजिट करें…

कोटि शिवलिंग पर्वत कहाँ है?

यह पर्वत भारत के ओड़िशा राज्य के कोरापुट जिले के लक्ष्मीपुर ब्लॉक के कुटुनीपदर में स्थित है। यह एक ऐतिहासिक धरोहर है, जहाँ सनातन धर्म की हजारो साल पुरानी विरासत देखने को मिलती है। यह जगह ओड़िशा की राजधानी भुबनेश्वर से 508 किलोमीटर और ओड़िशा के प्रसिद्ध शहर पूरी से 406 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

कोटि शिवलिंग पर्वत क्यों प्रसिद्ध है?

ओड़िशा के कोरापुट जिले के कुटुनीपदर में एक पहाड़ स्थित है, जिसे कोटि शिवलिंग पर्वत के नाम से सम्बोधित किया जाता है। कोटि शिवलिंग पर्वत के बारे में बताया जाता है की इस पर्वत की खोज 50 वर्ष पहले कुटुनीपदर के स्थानीय लोगो द्वारा की गयी थी। जिसमे पर्वत की खुदाई करने में करोड़ो की संख्या में शिवलिंग और हिन्दू देवी-देवताओं की पत्थर से बनी मूर्तियां मिली थी और आज भी पर्वत की खुदाई करने पर अलग-अलग प्रकार और आकर की चमत्कारिक मूर्तियां और शिवलिंग मिल रही हैं।

इस पर्वत की खुदाई में करोड़ों के संख्या में अलग-अलग प्रकार की शिवलिंग, भगवान भैरव, जगन्नाथ, अनन्तशायी, विष्णु और माता तरणि देवी के प्रतिमाएं मिली हैं। जिस वजह से इस पर्वत के प्रति लोगो की बहुत गहरी आस्था है और यही कारण है की हल्के-हल्के यह जगह पूरे देश में प्रसिद्ध हो रही है।

कोटि शिवलिंग पर्वत का इतिहास

कुटुनीपदर में स्थित कोटि शिवलिंग पर्वत के इतिहास के बारे में कोई नहीं जानता है। इस पर्वत पर मिलने वाली शिवलिंगो की खोज 50 वर्ष पहले कुटुनीपदर के स्थानीय लोगो द्वारा की गयी थी। इस पर्वत की खुदाई करने पर करोड़ों की संख्या में शिवलिंग मिली और इसके साथ ही हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां भी मिली।

करोड़ों की संख्या में शिवलिंग मिलने की वजह से इस पर्वत का नाम कोटि शिवलिंग पर्वत रख दिया गया। इतने ऊँचे पर्वत पर शिवलिंगो का निर्माण किसने किया और यह मूर्तियां किसने बनवाई इसका कोई भी पुख्ता प्रमाण मौजूद नहीं है। इस पर्वत पर कुछ गुफाये भी मौजूद हैं, जिनके अंदर नक्काशी की गयी मूर्तियां और शिवलिंग स्थित हैं, इनमे से कुछ गुफाओ में आप जा सकते हो, जबकि कुछ गुफाओ में आप नहीं पहुंच सकते हो।

कोटि शिवलिंग की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय

इस पर्वत की यात्रा करने और शिवलिंगो के दर्शन करने के लिए आप कभी भी आ सकते हैं। यदि यहाँ आने के सबसे अच्छे समय की बात की जाए तो इस पर्वत पर महाशिवरात्रि के दौरान सबसे अधिक भक्तो की भीड़ रहती है और इस दौरान यहाँ पर कुछ आयोजन किये जाते हैं, जिसमे आप शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा यदि मौसम के हिसाब से यहाँ के बेस्ट टाइम के बारे में बात की जाए तो वो अक्टूबर से फरवरी के बीच का है। इसके अलावा आप हिन्दू धर्म के पवित्र सावन महीने में भी यहाँ पर विजिट कर सकते हैं।

कोटि शिवलिंग पर्वत की यात्रा के दौरान कहाँ रुके?

कोटि शिवलिंग की यात्रा आप एक दिन में आराम से पूरा कर लोगे। यदि आप कुछ दिन रूककर स्थनीये लोगो से बात-चीत और इस पर्वत को पूर्ण तरीके से एक्स्प्लोर करना चाहते हैं तो आप कोरापुट शहर में रुक सकते हैं, जो कुटुनीपदर से मात्र 49 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके अलावा आप लक्ष्मीपुर में भी रुक सकते हैं और यहाँ पर बहुत से छोटी-छोटी धर्मशालाएं और कुछ गेस्ट हाउस बने हुए हैं।

कोटि शिवलिंग पर्वत कैसे पहुंचे?

यह ऐतिहासिक और पौराणिक पर्वत ओड़िशा के कोरापुट जिले में स्थित है। कोरापुट जिला सड़कमार्ग, हवाईमार्ग और रेलमार्ग द्वारा अच्छे से जुड़ा हुआ है। कोरापुट से आगे कुटुनीपदर तक आप सिर्फ रेलमार्ग की सहायता से ही जा सकते हैं। नीचे हम विस्तार से कोटि शिवलिंग पर्वत पहुंचने के माध्यमों के बारे में बता रहे हैं…

हवाईमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?

यदि आप कुटुनीपदर, हवाईमार्ग की सहायता से आना चाहते हैं तो मैं आपको बता दूँ की कुटनीपदर या कोरापुट में कोई भी एयरपोर्ट मौजूद नहीं है। यहाँ का सबसे नजदीक एयरपोर्ट जैपोरे में स्थित है, जो कोरापुट से 25 किलोमीटर और कुटुनीपदर से 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आपको यहाँ से कुटुनीपदर की बाकि की दूरी सड़कमार्ग द्वारा पूरी करनी होगी।

रेलमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?

यदि कुटुनीपदर के सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन की बात की जाए तो वो डोयकालू रेलवे स्टेशन है, जो कुटुनीपदर से मात्र 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ से आपको बहुत सी प्राइवेट गाड़ियां मिल जाएँगी, जो आपको कुटुनीपदर में कोटि शिवलिंग पर्वत तक छोड़ देंगी।

सड़कमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?

कोटि शिवलिंग पर्वत पहुंचने का सबसे अच्छा और आसान माध्यम सड़कमार्ग द्वारा है। आपको ओड़िशा के भुबनेश्वर, रायगड़ा, विजयनगरम, विशाखापत्तनम से सीधे कोरापुट के लिए बस मिल जाएँगी। इसके बाद कोरापुट से वहां के लोकल वाहन द्वारा आप कुटुनीपदर तक पहुंच सकते हैं।

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