खाटू श्याम चुलकाना धाम मंदिर की यात्रा से सम्बंधित जानकारी, कैसे पहुंचे? कहाँ रुके? चुलकाना धाम की स्टोरी? आदि

भगवान श्री कृष्ण को कई रूपों में पूजा जाता है और इसके साथ-साथ उनके बहुत से भक्तो को भी उन्ही के नाम और उनके रूप का स्वरूप मानकर पूजा जाता है। ऐसे ही भगवान शिव के एक भक्त बर्बरीक थे, जिन्हे श्री कृष्ण ने वरदान दिया था कि वे कलयुग में “खाटू श्याम” के नाम से जाने जायेंगे क्योंकि बर्बरीक ने श्री कृष्ण के कहने पर उन्हें अपना शीश दान में दे दिया था। इस ब्लॉग में हम उसी पवित्र स्थान की यात्रा के बारे में जानेंगे, जहाँ बर्बरीक ने अपना शीश भगवान श्री कृष्ण को दान में दिया था। जो आज “चुलकाना धाम” और “खाटू श्याम चुलकाना धाम मंदिर” के नाम से जाना जाता है।

हम इस ब्लॉग के माध्यम से चुलकाना धाम मंदिर की यात्रा से सम्बंधित जानकारी को आपके साथ साझा करेंगे जैसे- आप चुलकाना धाम कैसे पहुंचे? कहाँ रुके? यात्रा का ओवरव्यू? चुलकाना धाम का इतिहास? और यात्रा टिप्स, आदि। तो ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़े…

चुलकाना धाम मंदिर कहाँ पर है?

भगवान श्री कृष्ण के परम भक्त बर्बरीक जी ने जहाँ पर भगवान श्री कृष्ण को अपना शीश दान में दिया था, वह जगह “चुलकाना धाम” के नाम से जानी जाती है और वह मंदिर, “चुलकाना धाम मंदिर” के नाम से जाना जाता है। चुलकाना धाम मंदिर भारत के हरियाणा राज्य के पानीपत जिले के समालखा कस्बे से 5 किलोमीटर की दूरी पर चुलकाना गांव में स्थित है। चुलकाना धाम तक आप सड़कमार्ग और रेलमार्ग द्वारा आसानी से पहुंच सकते हैं।

  • चुलकाना धाम मंदिर का एड्रेस (Address):- समालखा कस्बे से 5 किलोमीटर दूर चुलकाना जिला-पानीपत, हरियाणा- 131101

चुलकाना धाम मंदिर कैसे पहुंचे?

चुलकाना धाम मंदिर हरियाणा के पानीपत जिले में पानीपत से 28 किलोमीटर की दूरी पर चुलकाना में स्थित है। आप चुलकाना धाम मंदिर कैसे और किन-किन माध्यमों से पहुंच सकते हैं उसके बारे में हम नीचे विस्तार से बता रहे हैं…

सड़कमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?

चुलकाना धाम मंदिर हरियाणा और उसके आस पास के राज्यों के शहरों से सड़कमार्ग के द्वारा अच्छे से जुड़ा हुआ है। यदि आप हरियाणा के किसी शहर से आ रहे हैं तो आप सीधे हरियाणा रोडवेज और प्राइवेट बसों द्वारा समालखा पहुंच सकते हैं और फिर वहां से मात्र 20 रुपये में शेयरिंग ऑटो द्वारा चुलकाना धाम तक पहुंच सकते हैं।

इसके अलावा यदि आप किसी और राज्य से आ रहे हैं तो आप पहले दिल्ली या चंडीगढ़ आ सकते हैं। इन दोनों जगहों से सीधे समालखा के लिए बसे मिल जाएँगी। यदि आपको सीधे समालखा के लिए बसे नहीं मिलती हैं तो आप पानीपत की बस में बैठ सकते हैं और फिर पानीपत से सीधे ऑटो या बस द्वारा समालखा पहुंच सकते हैं और फिर वहां से सीधे चुलकाना धाम। नीचे हम कुछ शहरों से चुलकाना धाम कैसे पहुंच सकते हैं उसके बारे में बता रहे हैं..

पानीपत से

पानीपत से समालखा की दूरी 28 किलोमीटर है, जिसे आप बस, टैक्सी और प्राइवेट गाड़ी द्वारा तय कर सकते हैं। पानीपत से नेशनल हाईवे 44 द्वारा आप समालखा तक पहुंच सकते हैं। उसके बाद आप समालखा से शेयरिंग ऑटो द्वारा सीधे चुलकाना धाम मंदिर तक पहुंच जायेंगे। पानीपत से चुलकाना धाम पहुंचने में मात्र में 30 से 45 मिनट का समय लगेगा।

दिल्ली से

दिल्ली से चुलकाना धाम मंदिर की दूरी 70 किलोमीटर है। इसे आप नेशनल हाईवे 44 से पूरा कर सकते हैं। दिल्ली से कार द्वारा चुलकाना धाम पहुंचने में कम-से-कम 2 से 3 घंटे का समय लगेगा। दिल्ली से समालखा के लिए सरकारी और प्राइवेट बसों का संचालन भी किया जाता है। जिसका आप उपयोग कर सकते हैं।

आगरा से

यदि आप उत्तर प्रदेश के आगरा शहर से आ रहे हैं तो आप या तो सबसे पहले दिल्ली पहुंच जाये और फिर वहां से चुलकाना धाम की बस पकड़े या फिर आप आगरा ISBT बस स्टैंड से पानीपत की बस लें और उसके बाद सीधे पानीपत से समालखा आ जाये। आगरा से पानीपत की दूरी 310 किलोमीटर है जिसे आप 5 से 6 घंटे में तय कर सकते हैं।

रेलमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?

चुलकाना धाम मंदिर पहुंचने का सबसे अच्छा और आसान साधन रेलमार्ग है, जिसके द्वारा आप आसानी से यहाँ तक पहुंच सकते हैं। चुलकाना धाम मंदिर के सबसे निकट रेलवे स्टेशन समालखा रेलवे स्टेशन (5 किलोमीटर दूर) और पानीपत रेलवे स्टेशन (26 किलोमीटर दूर) है।

इन दोनों जगहों के लिए ट्रेन आपको हरियाणा के शहरों और हरियाणा के आस-पास के राज्यों के शहरों से आसानी से मिल जाएगी। नीचे हम कुछ शहरों से समालखा और पानीपत के लिए चलने वाली ट्रेनों का विवरण दे रहे हैं। जिनके द्वारा आप समालखा और पानीपत तक पहुंच सकते हैं…

  • Amritsar Express (11057)- Delhi to Samalkha
  • Unchahar Express (14218)- Delhi to Samalkha
  • Amrapali Express (15708)- Delhi to Panipat
  • Kurukshetra Junction (11841)- Agra to Samalkha
  • Malwa SF Express (12919)- Agra to Panipat

समालखा और पानीपत के लिए हरियाणा के बहुत से शहरों और अन्य राज्यों के शहरों से सीधे ट्रेने उपलब्ध हैं जैसे- करनाल, चंडीगढ़, कुरुक्षेत्र, और पंचकूला आदि। जिसकी सहायता से आप पानीपत या समालखा तक पहुंच सकते हैं।

हवाईमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?

समालखा या पानीपत में कोई भी एयरपोर्ट मौजूद नहीं है। चुलकाना धाम के सबसे नजदीक एयरपोर्ट इंदिरा गाँधी अन्तर्राष्टीय हवाई अड्डा दिल्ली है। आप दिल्ली तक ही सिर्फ एयरप्लेन की सहायता से आ सकते हैं, उसके बाद धाम तक की दूरी आपको सड़कमार्ग द्वारा पूरी करनी होगी।

चुलकाना धाम डिस्टेंस चार्ट

AreaDistance
दिल्ली से चुलकाना धाम मंदिर70 किलोमीटर
पानीपत से चुलकाना धाम मंदिर28 किलोमीटर
खाटू श्याम से चुलकाना धाम मंदिर330 किलोमीटर
बरेली से चुलकाना धाम मंदिर316 किलोमीटर
मनौना धाम से चुलकाना धाम मंदिर298 किलोमीटर

चुलकाना धाम लोकल ट्रांसपोर्ट

चुलकाना धाम में लोकल ट्रांसपोर्ट बहुत अच्छा है, जिसकी सहायता से आप समालखा रेलवे स्टेशन से चुलकाना धाम मंदिर तक आसानी से पहुंच जाएंगे, इनका चार्ज 20 रुपये प्रति व्यक्ति (रेलवे स्टेशन से मंदिर तक का) होता है। ये ऑटो आपको मंदिर से लगभग 1 किलोमीटर पहले उतार देंगे, जहाँ से आपको मंदिर तक की दूरी पैदल ही तय करनी होगी। धाम में आपको लोकल ऑटो और टैक्सी मिल जाएँगी, जिनकी सहायता से आप मंदिर के आस-पास के स्थानों पर घूमने के लिए जा सकते हैं।

चुलकाना धाम मंदिर की स्टोरी

चुलकाना, हरियाणा के पानीपत जिले की पवित्र भूमि है। इसका नाम चुलकाना, “ऋषि चुलकट” के नाम पर पड़ा। ऐसा माना जाता है की सतयुग में चुलकट ऋषि इसी गांव में तपस्या किया करते थे। उनके तपोवल और उनकी वीरता के कारण ही यह स्थान पवित्र माना जाता है। आज इस जगह पर “लकीसर” नाम से ऋषि चुलकट का एक मंदिर बना हुआ है और उस मंदिर में चुलकट ऋषि के बारे में सभी जानकारियों को साझा किया गया है।

चुलकाना धाम मुख्यता भगवान श्री खाटू श्याम की वजह से बहुत अधिक प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है की यही वह जगह है जहाँ वीर बर्बरीक ने श्री कृष्ण को अपना शीश दान दिया था। चुलकाना धाम में बने हुए मंदिर में आज भी इस बात के साक्ष्य मौजूद हैं। चुलकाना धाम में बने इस मंदिर के बारे में बताया जाता है की द्वापर युग में महाभारत युद्ध के समय घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक युद्ध देखने के लिए अपनी माँ से आज्ञा लेते हैं। उनकी माँ उनसे वचन लेती हैं की यदि तुम्हे युद्ध करना पड़े तो तुम उस पक्ष की ओर से युद्ध करना जो युद्ध में हार रहा हो।

बर्बरीक अपनी माँ को वचन देकर युद्ध को देखने के लिए निकल जाते हैं। जब वह युद्ध भूमि पर पहुंचते हैं तो सैनिक उनकी विशाल शरीर को देखकर डर जाते हैं और उनसे पूछने लगते हैं की आप किस पक्ष की ओर से युद्ध लड़ोगे। तब बर्बरीक उत्तर देते हैं की जो पक्ष हारेगा मैं उसी पक्ष की ओर से युद्ध लडूंगा। जब यह बात श्री कृष्ण को पता चलती हैं तब वह सुबह-सुबह बर्बरीक की परीक्षा लेने के लिए ब्राह्मण का वेश धारण करके निकल जाते हैं।

श्री कृष्ण बर्बरीक के पास पहुंचकर उनसे कहते हैं की क्या तुम सच में इस युद्ध में भाग लेना चाहते हो? इस युद्ध में बहुत बड़े-बड़े योद्धा और उनकी सेनाएं हैं! लेकिन तुम तो अकेले हो और नाही तुम्हारे पास कोई सेना है?, श्री कृष्ण की यह बात सुनकर बर्बरीक उनसे कहते हैं की मुझे किसी सेना की कोई जरुरत नहीं है और मैं अपने तीन वाण से ही इस युद्ध को समाप्त कर दूंगा।

यह बात सुनकर श्री कृष्ण एक पीपल के वृक्ष की ओर इशारा करके कहते हैं यदि ऐसा है तो इस पीपल के वृक्ष के सभी पत्तो को एक तीर से भेदकर दिखाओ। श्री कृष्ण पीपल के वृक्ष के दो पत्तो को अपने हाथ और पैर से दबा लेते हैं।

बर्बरीक एक तीर से पीपल के सभी पत्तो को भेद देते हैं। जब श्री कृष्ण अपने हाथ और पैर से दबे पत्तो को देखते हैं तो उसमे भी छेद होता है। बर्बरीक की इसी वीरता को देखकर श्री कृष्ण चिंता में आ जाते हैं की यदि बर्बरीक इस युद्ध में भाग लेता है तो पांडवो का हारना तय है क्योंकि श्री कृष्ण जानते थे कि युद्ध में पराजय कौरवो की होगी।

इसी वजह से ब्राह्मण वेश में श्री कृष्ण, बर्बरीक से उनका शीश दान में मांग लेते हैं। बर्बरीक ब्राह्मण से उनके असली रूप में आने के लिए निवेदन करते हैं। श्री कृष्ण अपने असली रूप में आकर बर्बरीक को दर्शन देते हैं, उसके बाद बर्बरीक अपना शीश काट कर श्री कृष्ण को दान में दे देते हैं।

बर्बरीक की इसी महानता को देखकर श्री कृष्ण उन्हें वरदान देते हैं की कलयुग में तुम मेरे नाम से जाने जाओगे और तुम हारे हुए लोगो का सहारा बनोगे। इसी वजह से आज कलयुग में लोग बर्बरीक को “खाटू श्याम” के नाम से जानते हैं और उन्हें, “हारे का सहारा। बाबा खाटू श्याम हमारा।।” कहते हैं। चुलकाना धाम वह जगह है, जहाँ बर्बरीक ने पीपल के वृक्ष के सभी पत्तो को भेदा था और अपना शीश दान में दिया था। पीपल का वृक्ष आज भी चुलकाना धाम में मौजूद है।

बर्बरीक ने अपना शीश दान करने के बाद श्री कृष्ण से निवेदन किया था की मैं इस युद्ध को देखना चाहता हूँ। तब श्री कृष्ण बर्बरीक के शीश को एक पहाड़ी के ऊपर रख देते हैं जहाँ से पूरा युद्ध दिखाई देता है। युद्ध होने के पश्चात बर्बरीक के शीश को यमुना जी में प्रवाहित कर दिया जाता है। जो कलयुग में राजस्थान के खाटू शहर में प्रकट होता है, जहाँ “खाटू श्याम मंदिर” बना हुआ है। इसके अलावा बरेली के पास आंवला शहर में भी एक चमत्कारी खाटू श्याम मंदिर स्थित है, जो मानोना धाम खाटू श्याम मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।

चुलकाना धाम मंदिर खुलने का समय

चुलकाना धाम मंदिर आज करोड़ो भक्तो के लिए आस्था का केंद्र है, जहाँ हर रोज भक्तो का मेले लगा रहता है। यदि इस मंदिर की टाइमिंग के बारे में बात की जाए तो यह मंदिर सुबह 5 बजे से शाम 3 बजे तक और फिर शाम 4 बजे से रात 8 बजे तक भक्तो के लिए खुला रहता है। दोपहर में कुछ समय के लिए मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं तो आप उस समय को छोड़कर कभी भी इस मंदिर में दर्शन कर सकते हैं।

  • चुलकाना धाम मंदिर टाइमिंग:- सुबह 5:00AM से 3:00PM और 4:00PM से रात 8:00PM तक

चुलकाना धाम मंदिर प्रसाद

चुलकाना धाम में खाटू श्याम जी को प्रसाद के रूप में मुख्यता चूरमा और घर की बनी खीर चढ़ाई जाती है। इसके अलावा आप मंदिर में दूध के पेड़े और पंच मेवा भी चढ़ा सकते हैं। मंदिर के अंदर पीपल के वृक्ष पर मन्नत का धागा बाँधा जाता है और मंदिर में निशानी (एक खाटू श्याम का झंडा और नारियल) चढ़ाई जाती है।

चुलकाना धाम में रुकने के विकल्प

यहाँ आपको रुकने के लिए धर्मशाला, गेस्ट हाउस और कुछ होटल्स मिल जायेंगे। यहाँ मुख्यता आपको धर्मशाला मिलेंगी जहाँ आप रुक सकते हैं। इन धर्मशालाओ में 200 से लेकर 700 रुपये तक के रूम आपको मिल जायेंगे। इसके अलावा आप मंदिर के गेट नंबर-3 के पास में बने कुछ रैनबसेरो में फ्री में रुक सकते हैं। चुलकाना धाम मंदिर के अंदर भी एक धर्मशाला बनी हुयी है। यहाँ भी आप रुक सकते हैं और यहाँ के रूम भी आपको कम रुपये में मिल जायेंगे।

चुलकाना धाम अंदिर ओवरव्यू

चुलकाना धाम में बने खाटू श्याम मंदिर के तीन गेट हैं जिसमे से दो गेट एंट्री और एक एग्जिट करने के लिए है। मंदिर के गेट नंबर एक से प्रवेश करने पर आपको सबसे पहले श्याम कुंड के दर्शन करने को मिलेंगे। श्याम कुंड में पानी बहुत कम रहता है और इसमें स्नान करने से सभी चर्म रोग खत्म हो जाते हैं। कुंड से थोड़ा आगे बढ़कर पीपल का वृक्ष है, जिसे महाभारत काल का बताया जाता है। जिसके पत्तो को बर्बरीक ने एक तीर से भेद दिया था। आज श्रद्धालु इस वृक्ष पर मन्नत का धागा बांधते हैं और मन्नत मांगते हैं।

Shyam Kund Chulkana Dham Mandir

मंदिर के अंदर वृक्ष के पास बर्बरीक जी का मंदिर बना हुआ है। जहाँ लोग दर्शन करते हैं। इसके अलावा मंदिर के पीछे की तरफ एक बहुत बड़ा बगीचा बना हुआ है और एक धर्मशाला बनी हुयी है। इस धर्मशाला में आप रुक सकते हैं।

चुलकाना धाम मंदिर कांटेक्ट नंबर

इस मंदिर को श्री श्याम मंदिर सेवा समिति द्वारा चलाया जाता है। यदि आप मंदिर में किसी भी तरह की सेवा करना चाहते हैं या फिर मंदिर में पूजा-अर्चना करवाना चाहते हैं तो आप नीचे दिए गए नंबर की सहायता से चुलकाना धाम मंदिर में संपर्क कर सकते हैं:-

  • चुलकाना धाम मंदिर कांटेक्ट नंबर:- 9813039995, 9416004404, 9416015572

यात्रा टिप्स

  • मंदिर में सबसे ज्यादा श्रद्धालुओं की भीड़ शनिवार और रविवार को होती है तो आप कोशिश करे की इन दोनों दिनों के अलावा किसी और दिन आये।
  • मंदिर में छोटे और कटी फटी जींस या कपड़े पहनना वर्जित है।
  • मंदिर के गेट नंबर 1 पर आँखों की दवाई डाली जाती है जो आँखों की समस्या के लिए लाभदायक होती है।

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