कामाख्या देवी मंदिर | टाइमिंग, इतिहास, दर्शन कैसे करे? कैसे पहुंचे आदि यात्रा से जुड़ी जानकारी

भारत के असम राज्य में माता के 51 शक्ति पीठो में से एक “कामाख्या शक्ति पीठ” स्थित है। यह शक्ति पीठ सबसे शक्तिशाली और पवित्र माना जाता है। “कामाख्या देवी मंदिर” सबसे अधिक तंत्र विधाओं के लिए जाना जाता है और यहाँ पर बहुत से तंत्र-मंत्र जानवरो की बलि देकर किये जाते हैं। ऐसा माना जाता है की इस मंदिर में दर्शन करने और इस मंदिर की तीन बार यात्रा करने से व्यक्ति सभी बंधनो से मुक्त हो जाता है।

इस ब्लॉग में हम कामाख्या देवी मंदिर की यात्रा से सम्बंधित सभी जानकारियों को आपके साथ साझा करेंगे जैसे- कामाख्या मंदिर की टाइमिंग, मंदिर में दर्शन करने की प्रक्रिया क्या है? मंदिर में VIP दर्शन कैसे करें? मंदिर की कहानी क्या है? आदि। तो ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़े और यदि आप मंदिर से सम्बंधित कुछ और जानकारी जानते हैं तो कमेंट के माध्यम से हमारे साथ साझा करें…

कामाख्या देवी मंदिर कहाँ स्थित है?

माँ भगवती का कामाख्या देवी मंदिर भारत के असम राज्य के गुवाहाटी शहर से मात्र 7-8 किलोमीटर की दूरी पर नीलांचल पर्वत पर स्थित है। यह मंदिर गुवाहाटी रेलवे स्टेशन से मात्र 8 किलोमीटर और गुवाहाटी एयरपोर्ट से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गुवाहाटी रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट से आपको बस और टैक्सी की सुविधा मिल जाएगी, जिसकी सहायता से आप मंदिर तक पहुंच सकते हैं।

  • पता:- गुवाहाटी से 10 किलोमीटर दूर नीलांचल पर्वत, गुवाहाटी असम

कामाख्या देवी मंदिर की कहानी

कामाख्या देवी मंदिर में माता की किसी मूर्ति रूप की पूजा नहीं होती है बल्कि इस मंदिर में माता के महामुद्रा (यानि माता की योनि) की पूजा की जाती है। यह एक पौराणिक मंदिर है जिसका उल्लेख हिन्दू धर्म के पौराणिक ग्रंथो में मिलता है और इससे सम्बंधित एक पौराणिक कहानी बताई जाती है।

ऐसा माना जाता है कि जब माता सती यज्ञ कुंड में कूद कर अपनी जान दे देती हैं तब भगवान शिव माता सती के शरीर को उठा कर पूरी पृथ्वी पर तांडव करने लगते हैं। जिसके बाद भगवान विष्णु पृथ्वी की रक्षा हेतु अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर को कई भागो में विभाजित कर देते हैं। माता सती के शरीर के टुकड़े पृथ्वी पर जहाँ-जहाँ गिरे वहां एक-एक शक्तिपीठ का निर्माण हुआ।

माता सती के कुल 51 शक्ति पीठ माने गए हैं, जिनमें से सबसे शक्तिशाली शक्तिपीठ कामाख्या शक्तिपीठ है और यहाँ पर माता की योनि गिरी थी, जिस वजह से इस मंदिर में माता की किसी मूर्ति की पूजा न होकर गर्भ गृह में माता की योनि की पूजा की जाती है। मंदिर के गर्भ गृह में स्थित महामुद्रा (योनि) में से निरंतर जल प्रवाहित होता रहता है, जिसे मंदिर में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओ के माथे पर लगाया जाता है।

कामाख्या देवी मंदिर का रहस्य

इस मंदिर में माता की महामुद्रा (योनि) की पूजा की जाती है, जो किसी भी स्त्री के शरीर का सबसे पवित्र अंग होता है जिस वजह से इस मंदिर को सबसे पवित्र और शुद्ध मंदिर माना जाता है और आप यहाँ पर बहुत ही पवित्र ऊर्जा को महसूस भी कर सकते हैं। इस मंदिर में माता की योनि की पूजा होने के वजह से साल में तीन दिन जून के महीने में पुरुषो का आना वर्जित होता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इन दिनों में माता अपने मासिक धर्म में होती हैं।

यह मंदिर भारत में तंत्र विद्याओं के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध है और यहाँ पर जून में लगने वाला अम्बुबाची मेले के दौरान साधु लोग सबसे अधिक तंत्र विद्या करते हैं। इस मंदिर में लोग पक्षी और जानवरो की बलि भी माता को चढ़ाते हैं।

कामाख्या देवी मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?

भारत के असम राज्य में स्थित कामाख्या देवी मंदिर माँ भगवती का सबसे पवित्र मंदिर माना जाता और इस मंदिर में माता की किसी मूर्ति की पूजा न होकर माता की महामुद्रा (योनि) की पूजा की जाती है। इस मंदिर में एक अलग और शक्तिशाली ऊर्जा महसूस होती है, जिस वजह से यह मंदिर तंत्र विधाओं के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध माना जाता है।

कामाख्या देवी मंदिर की टाइमिंग

यह मंदिर सुबह 5:30 बजे भक्तो के लिए खोल दिया जाता है और यह दोपहर 1 बजे तक खुला रहता है इसके बाद मंदिर के कपाट कुछ समय के लिए बंद कर दिए जाते हैं, जिसके बाद दोपहर 2:30 बजे मंदिर के कपाट पुनः भक्तो के लिए खोल दिए जाते हैं, जो शाम 5:30 बजे तक खुले रहते हैं।

  • टाइमिंग:- सुबह 5:30 से 1 बजे और 2:30 बजे से 5:30 बजे तक (सोमवार से रविवार)

कामाख्या देवी मंदिर में दर्शन करने की प्रक्रिया क्या है?

इस मंदिर की यात्रा करने से पहले मंदिर में दर्शन करने की प्रक्रिया के बारे में जाना बहुत जरुरी है वरना आपको दर्शन करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इस मंदिर में दर्शन करने की दो प्रक्रिया हैं, जिसमें एक में आप VIP दर्शन कर सकते हैं और दूसरा आप सामान्य तरीके से दर्शन कर सकते हैं। इन दोनों प्रक्रियों के बारे में हम नीचे बता रहे हैं…

सामान्य दर्शन की प्रक्रिया

इस प्रक्रिया में आपको माता के निशुल्क दर्शन हो जाएंगे लेकिन आपको काफी समय इंतज़ार करना पड़ सकता है। इस प्रक्रिया में सबसे पहले आपको सामान्य एंट्री गेट में प्रवेश करना होगा और वहां से अपना सामान्य दर्शन वाला टोकन लेना होगा, जिसके अंतर्गत आपकी एक फोटो खींची जाती है और आपको इलेक्ट्रॉनिक QR कोड वाला टोकन दे दिया जाता है। जिसके बाद आप मंदिर के गर्भ गृह की ओर बढ़ेंगे और वहां आपको टोकन स्कैन होगा और फिर आपको लाइन में लगना होगा।

मंदिर के टोकन पर टोकन का समय और मंदिर में दर्शन करने का अनुमानित समय लिखा होता है। इस मंदिर में दर्शन काफी धीरे-धीरे होते हैं, जिस वजह से आपको दर्शन करने में अधिक भीड़ होने पर 5 से 6 घंटे और सामान्य दिन में 2 से 3 घंटे का समय लग सकता है। इसी वजह से आप मंदिर में दर्शन करने के लिए पूरे दिन का समय रखे।

VIP दर्शन की प्रक्रिया

यदि आप सामान्य दर्शन करने से बचना चाहते हैं तो आप VIP दर्शन का टोकन ले सकते हैं, जिसे आप कामाख्या मंदिर की ऑफिसियल वेबसाइट की माध्यम से ऑनलाइन बुक कर सकते हैं या फिर मंदिर में जाकर VIP टोकन ले सकते हैं। मंदिर में VIP टोकन काउंटर बना हुआ है, जहाँ से आप VIP टोकन ले सकते हैं। ये काउंटर सुबह 7 बजे खुल जाता है और इसमें आपको सिमित ही टोकन मिलेंगे इसलिए आप सुबह में जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी टोकन काउंटर पर पहुंच जाएं। VIP दर्शन टिकट लेने के लिए आपको 501 रुपये देने होंगे।

दर्शन के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

  • यदि आप VIP दर्शन करना चाहते हैं और आपने पहले ऑनलाइन टोकन नहीं लिया है तो आप सुबह में जल्दी मंदिर पहुंचकर VIP टोकन लेलें। मंदिर में टोकन सिमित होते हैं तो आप जितने जल्दी पहुंचेंगे उतना ही आपके लिए अच्छा होगा।
  • यदि आप सामान्य प्रक्रिया द्वारा दर्शन कर रहे हैं तो आप आपने साथ कुछ खाने पीने का सामान जरूर रखे, क्योंकि मंदिर में दर्शन करने में आपको 5 से 6 घंटे का समय भी लग सकता है।
  • सामान्य प्रक्रिया द्वारा जल्दी दर्शन करने के लिए आप सुबह में 4 से 5 बजे तक मंदिर पहुंच जायें, जिससे आपको जल्दी दर्शन करने को मिल जायेंगे।
  • जून के महीने में अम्बुबाची मेले के दौरान पुरुषो का मंदिर के अंदर प्रवेश वर्जित होता है।

कामाख्या मंदिर आने का सबसे अच्छा समय

कामाख्या मंदिर की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय सितम्बर से फरवरी के बीच का होता है। असम में काफी गर्मी पड़ती है, जिस वजह से अप्रैल से जून के बीच का समय सही नहीं माना जाता है। इसके अलावा दुर्गा पूजा, अम्बुबाची मेला और मनशा पूजा के दौरान आना भी काफी शुभ माना जाता है लेकिन इन समय में आपको काफी भीड़ का सामना भी करना पड़ सकता है।

कामाख्या मंदिर कैसे पहुंचे?

यह मंदिर असम के गुवाहाटी शहर में स्थित है, जो असम की राजधानी दिसपुर से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कामाख्या पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले दिसपुर या फिर गुवाहाटी शहर पहुंचना होगा। गुवाहाटी पहुंचना काफी आसान है क्योंकि आपको यहाँ पर रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट दोनों मिल जाएंगे। भारत के विभिन्न रेलवे स्टेशनो जैसे- मुंबई, कोलकाता, बैंगलोर, और चेन्नई आदि से आपको सीधे गुवाहाटी के लिए ट्रेन मिल जाएँगी। इसके साथ ही इन शहरों से गुवाहाटी के लिए सीधे फ्लाइट भी मौजूद है, जो ट्रेन के मुकाबले थोड़ी महंगी हो सकती हैं।

गुवाहाटी पहुंचने के बाद आप गुवाहाटी से कामाख्या देवी मंदिर तक के लिए बस, टैक्सी या फिर ऑटो की सहायता ले सकते हैं। साथ ही आप गुवाहाटी से बाइक या स्कूटी रेंट पर लेकर कामाख्या देवी मंदिर तक पहुंच सकते हैं। इसके अलावा आप गुवाहाटी से ट्रेन पकड़ कर कामाख्या रेलवे स्टेशन तक पहुंच सकते हैं, जहाँ से कामाख्या देवी मंदिर कुछ ही दूरी पर है।

  • निकटतम रेलवे स्टेशन:- कामाख्या रेलवे स्टेशन और गुवाहाटी रेलवे स्टेशन
  • निकटतम एयरपोर्ट:- गुवाहाटी एयरपोर्ट

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