चार धाम मंदिर के कपाट खुलने का हुआ ऐलान | जानिये 2025 में केदारनाथ बद्रीनाथ गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट कब खुलेंगे?

उत्तराखंड में स्थित चार धाम मंदिर केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरो के कपाट खुलने की तिथि का ऐलान कर दिया गया है। ये मंदिर साल में सिर्फ 6 महीनो के लिए ही खुलते हैं और सर्दियों में अधिक ठण्ड पड़ने पर मंदिर के कपाट 6 महीनो के लिए बंद कर दिए जाते हैं। पिछली साल 2025 में नवंबर में भाई दूज के दिन केदारनाथ और बद्रीनाथ के कपाट बंद कर दिए गए थे, जो अभी भी बंद हैं। इस समय आप केदारनाथ बाबा के दर्शन उखीमठ के ओम्कारेश्वर मंदिर में कर सकते हैं।

इस ब्लॉग में आप सभी चार धाम मंदिर केदारनाथ बद्रीनाथ गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट कब खुलेंगे? और यात्रा से सम्बंधित सभी जानकारियों को जान सकते हैं। तो ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़े और यदि आप मंदिर से जुड़ी कुछ और जानकारी जानते हैं तो हमारे साथ कमेंट के माध्यम से साझा करें…

चार धाम मंदिर कब खुलेंगे?

केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर चार धाम मंदिर के अंतर्गत आते हैं और इनकी यात्रा, “चार धाम यात्रा” के नाम से जानी जाती है। हिन्दू धर्म में इस यात्रा का बहुत गहरा महत्व है और इसकी यात्रा करना बहुत ही पवित्र माना जाता है। चार धाम मंदिर साल में सिर्फ 6 महीनो के लिए खुलते हैं और बाकि 6 महीने ये मंदिर बंद रहते हैं। साल 2024 में नवंबर के महीने में इन मंदिरो के कपाट बंद कर दिए गए थे जो आज भी बंद हैं।

26 फ़रवरी 2025 को शिवरात्रि के मौखे पर केदारनाथ बाबा की शीतकालीन गद्दी ओम्कारेश्वर मंदिर में विशेष पूजा के बाद चार धाम मंदिरो के कपाट खोलने का ऐलान कर दिया गया। श्री केदारनाथ-बद्रीनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल द्वारा बताया गया की मंदिर के धर्माचार्य वेदपाठियों द्वारा पंचांग गणना कर शुभ तिथि 2 मई को केदारनाथ के और 4 मई को बद्रीनाथ के कपाट खुलने का ऐलान कर दिया गया। जबकि गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर के कपाट अक्षय तृतीये के दिन 30 अप्रैल को खुलेंगे।

चार धाम मंदिर ओपनिंग डेट 2025

Char Dham MandirOpening Date
केदारनाथ मंदिर2 मई 2025
बद्रीनाथ मंदिर4 मई 2025
गंगोत्री मंदिर30 अप्रैल 2025
यमुनोत्री मंदिर30 अप्रैल 2025

चार धाम यात्रा कैसे करें?

उत्तराखंड में की जाने वाली चार धाम यात्रा को “छोटी चार धाम यात्रा” के नाम से भी जाना जाता है, इस यात्रा के अंतर्गत श्रद्धालुओं को यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और अंत में बद्रीनाथ के दर्शन करने के लिए जाना चाहिए। यह यात्रा हर साल अप्रैल या मई के महीने में शुरू होती है और सर्दियों में भाई दूज के समय समाप्त हो जाती है।

इस यात्रा का महत्व बड़े चार धाम- बद्रीनाथ, द्वारकाधीश, जगन्नाथ पूरी, और रामेश्वरम की यात्रा करने जितना ही होता है। यदि आप इन मंदिरो की यात्रा करने में असमर्थ हैं तो आप छोटे चार धाम की यात्रा कर सकते हैं। नीचे हम चार धाम मंदिरो को अलग-अलग बता रहे हैं और चार धाम मंदिरो की यात्रा के क्रम के बारे में भी बता रहे हैं, जिसे आप पढ़ सकते हैं…

यमुनोत्री मंदिर:-

आप अपनी यात्रा की शुरुआत यमुनोत्री मंदिर से कर सकते हैं। यह चार धाम का प्रथम मंदिर हैं, जहाँ से यमुना जी का उद्गम हुआ है और यहाँ पर यमुना जी का मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको हरिद्वार से बरकोट आना होगा और फिर वहां से जानकी चट्टी जहाँ से कुछ किलोमीटर का पैदल मार्ग शुरू होता है।

गंगोत्री:-

यमुनोत्री की यात्रा करने के बाद आप वहां से गंगोत्री के लिए निकल जाएँ। गंगोत्री में माँ गंगा का एक सुन्दर मंदिर बना हुआ है और वहां से कुछ किलोमीटर का ट्रेक करके आप गोमुख तक पहुंच सकते हैं जो माँ गंगा का उद्गम माना जाता है। आप यमुनोत्री दर्शन करने के बाद वापस बरकोट आ सकते हैं और वहां से सीधे उत्तरकाशी के लिए जा सकते हैं और फिर वह से आप गंगोत्री मंदिर पहुंच सकते हैं।

केदारनाथ मंदिर:-

इस यात्रा को आगे बढ़ाते हुए आप गंगोत्री से केदारनाथ मंदिर की ओर प्रस्थान कर सकते हैं। केदारनाथ मंदिर पंच केदार और भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको लगभग 20 किलोमीटर का पैदल ट्रेक करना होगा। आप गंगोत्री से उत्तरकाशी आये और फिर वहां से रुद्रप्रयाग होते हुए सोनप्रयाग तक पहुंच जाएँ। सोनप्रयाग से आप लोकल टैक्सी द्वारा गौरी कुंड तक पहुंच जाएंगे और फिर वहां से मंदिर तक का 20 किलोमीटर का खूबसूरत ट्रेक।

बद्रीनाथ मंदिर:-

इस पवित्र यात्रा का अंत बद्रीनाथ के दर्शन के बाद होते हैं। बद्रीनाथ में आप श्री नारायण जी के दर्शन कर सकते हैं, जो यहाँ पर विश्राम मुद्रा में विराजमान हैं। केदारनाथ से आप वापस रुद्रप्रयाग आ सकते हैं और वहां से कर्णप्रयाग, गोपेश्वर होते हुए बद्रीनाथ तक पहुंच सकते हैं। बद्रीनाथ मंदिर में दर्शन करने के बाद आप भारत के आखरी गांव माणा में भी विजिट कर सकते हैं, जहाँ भगवान गणेश ने महाभारत और पुराणों को लिखा था। यहाँ पर वेदव्यास जी और भगवान गणेश की गुफा भी हैं, इसके साथ ही स्वर्गारोहिणी पाथ भी है। जिस रास्ते से पांडव स्वर्ग की ओर गए थे।

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