भारत में ऐसे बहुत से शहर हैं, जो अपने गौरव शाली इतिहास के लिए जाने जाते हैं। ऐसा ही एक शहर उत्तर प्रदेश में स्थित है, जो झाँसी के नाम से जाना जाता है। झाँसी में बना झाँसी किला एक गौरव शाली इतिहास का गवाह रहा है, जिसे एक रानी ने अपनी वीरता और साहसिक लड़ाई के माध्यम से सदा के लिए अमर कर दिया। हम बात कर रहें हैं, झाँसी किले या रानी लक्ष्मीबाई किले की, जो आज भी 26 जनवरी, 15 अगस्त और झांसी महोत्सव के दौरान लोगो के बीच आकर्षण का केंद्र रहता है।
इस ब्लॉग में हम झाँसी के किले (Jhansi Fort) की यात्रा से सम्बंधित सभी जानकारियों को आपके साथ साझा करेंगे जैसे झाँसी किले का इतिहास, सबसे अच्छा समय, टिकट प्राइस, किले की टाइमिंग और किले के टॉप आकर्षण आदि। तो ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़े और यदि आप पहले इस किले में विजिट कर चुकें हैं तो अपनी फोटो हमारे साथ साझा करें…
झाँसी का किला कहाँ स्थित है?
यह ऐतिहासिक किला उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के झाँसी शहर में बंगीरा की पहाड़ी पर स्थित है। यह एक ऐतिहासिक किला है, जो सबसे ज्यादा 1857 में हुयी क्रांति के बाद प्रसिद्ध हुआ। यह किला झाँसी जंक्शन से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जहाँ तक आप झाँसी शहर के लोकल ट्रांसपोर्ट द्वारा आसानी से पहुंच सकते हैं।
झाँसी के किले का इतिहास
उत्तर प्रदेश का झाँसी शहर और यहाँ बना झाँसी का किला बहुत ही गौरव शाली इतिहास को अपने में समाये हुए है। इस किले को ओरछा के राजा वीर सिंह जूदेव ने सं 1613 में बनवाना शुरू किया था। झाँसी का पुराना नाम “बलवंतनगर” था लेकिन जब राजा वीर सिंह ने अपनी पत्नी को किले के बारे में बताया रानी के मुख से निकला महाराज! तुम्हारा किला तो झाइसे दिखाई देता है। जिसके बाद इस किले का नाम बदलते समय के अनुसार झाँसी पड़ा। झाँसी पर ओरछा के राजाओ, मराठो, मुग़लो और अंग्रेज़ो का कई वर्षो तक शासन रहा।
झाँसी का सबसे मुख्य योगदान 1857 में शुरू हुयी अंग्रेज़ो के खिलाफ क्रांति में रहा। जब झाँसी शहर पर श्री गंगाधर राव का वर्चस्व था, जिनका विवाह 13 साल की एक कन्या श्री रानी लक्ष्मी बाई से हुआ था। गंगाधर राव की मृत्यु के बाद अंग्रेजी हुकूमत झाँसी पर कब्ज़ा करना चाहती थी, लेकिन रानी लक्ष्मी बाई को यह मंज़ूर नहीं था, जिसके बाद अंग्रेज़ो और रानी लक्ष्मीबाई के बीच भीषण युद्ध हुआ। जिसके बाद रानी लक्ष्मीबाई को समर्पित एक कविता लिखी गयी, जिसे सुभद्रा कुमारी चौहान ने लिखा था और जिसका शीर्षक “झाँसी की रानी” था। उसके बाद से ही यह शहर और किला रानी लक्ष्मी बाई के नाम से सम्बोधित होने लगा।
किले का ओवरव्यू
इस किले में कुल 10 गेट हैं, जो खंडेराव गेट, दतिया गेट, उन्नाव गेट, बड़ा गांव गेट, लक्ष्मी बाई गेट, सागर गेट, ओरछा गेट, चाँद गेट आदि नाम से जाने जाते हैं। किले के अंदर बिजली कड़क तोप, रानी लक्ष्मीबाई गार्डन, खुदा बख्श की मजार (रानी का वफादार) शिव मंदिर, गौस खान की मज़ार, मोती बाई और गणेश मंदिर स्थित हैं। आप जब इस किले पर पहुंचेंगे तो आपको किले के पीछे वाली गेट से एंट्री लेनी होगी , जिसे अंग्रेज़ो ने बनवाया था। यह किला लगभग 15 एकड़ में बना हुआ है, जोकि 312 मीटर लम्बा और 225 मीटर चौड़ा है। इस किले में 16 से 20 फीट के ग्रेनाइट की दीवारे बनायीं गयी थी।
किले के अंदर बहुत सी ऐतिहासिक चीजे रखी हुयी हैं, जिनमें बिजली कड़क तोप, मशीन गन और रानी लक्ष्मी बाई जी से सम्बंधित चीजे आदि। जिन्हे आप इस किले में विजिट करके एक्स्प्लोर कर सकते हैं। इस किले में आप एक संग्राहलय देख सकते हैं, जिसमें चंदेल राजवंश के हथियार रखे हुए हैं। इस किले में एक टावर बना हुआ है, जहाँ पर कैदियों को फांसी दी जाती है, जिसे रानी लक्ष्मी बाई ने झाँसी की रानी बनने के बाद बंद करा दिया था। यह किला 1857 में हुए उस क्रांतिकारी युद्ध और भारत की स्वतंत्रता को प्रदर्शित करता है।
झाँसी किले के टॉप आकर्षण
इस किले में विजिट करने पर आपको बहुत सी ऐतिहासिक चीजे बनी हुयी दिख जाएँगी, जो यहाँ आने वाले पर्यटकों को सबसे ज्यादा आकर्षित करती हैं। नीचे हम झाँसी किले के टॉप आकर्षण के बारे में बता रहे हैं…
रानी महल:- आप इस किले में रानी लक्ष्मी बाई का महल देख सकते हैं, जिसमें रानी अपने विवाह के बाद रहा करती थी। इस महल की दीवारों पर रामायण जैसे पवित्र ग्रन्थ के चित्रों को उकेरा गया है इसके अलावा महल में उकेरी गयीं भगवान विष्णु की आकर्तियाँ लक्ष्मी बाई की परम भक्ति और उनके विश्वास को दर्शाती हैं।
पंच महल:- किले के अंदर एक पंच महल नाम से एक महल बना हुआ है, जिसे उसके 5 मंज़िला बने होने के कारण से पंच महल के नाम से पुकारा जाता था। अब वर्तमान समय में यह महल 4 मंज़िला ही रह गया है, जिसकी एक मंज़िल को अंग्रेज़ो ने तुड़वा दिया था। इस महल की एक मंज़िल पर रानी रहा करती थी, दूसरी पर दरवान लगता था, तीसरे पर रानी का झूला महल था और चौथे पर दीवाने आम और दीवाने खास बना हुआ था।
शिव मंदिर:- किले के अंदर एक बहुत ही प्राचीन मंदिर बना हुआ है, जो किले के निर्माण के समय का ही बताया जाता है। इस मंदिर में रानी लक्ष्मी बाई प्रति दिन पूजा-अर्चना करने आती थी। जिसमें आप विजिट कर सकते हैं।
गणेश मंदिर:- किले के पीछे की साइड में एक और प्राचीन मंदिर बना हुआ है, जो भगवान गणेश जी को समर्पित है। अंग्रेज़ो से युद्ध के दौरान रानी के वफादार गुलाम गॉस खान और खुदा बख्श ने अपनी जान इसी मंदिर के पास ही गवाई थी। इस मंदिर के प्रति लक्ष्मीबाई की गहरी आस्था थी।
रानी लक्ष्मीबाई जम्प पॉइंट:- किले के अंदर ऊपरी साइड में एक ऐसी जगह है, जहाँ से रानी लक्ष्मी बाई ने युद्ध के दौरान अपने घोड़े के साथ छलांग लगा दी थी। जिसमें उनके घोड़े का पैर टूट गया था।
डेथ टावर:- किले के अंदर एक डेथ टावर बना हुआ है, जहाँ पर कैदियों को फांसी दी जाती थी।
बिजली कड़क तोप:- किले में एंट्री करने के बाद आपको किले के अंदर एक बिजली कड़क तोप देखने को मिल जाएगी। इसके नाम के कारण लोग इसकी तरफ काफी आकर्षित होते हैं। इसे भारत की दूसरी सबसे बड़ी तोप के रूप में जाना जाता है। जब यह तोप चलाई जाती थी तो बिजली के तरह चमक और आवाज करती थी, जिस कारण इसका नाम “बिजली कड़क तोप” रखा गया।
झाँसी किले की टाइमिंग
यदि आप इस किले में विजिट करना चाहते हैं तो आपको इस किले की टाइमिंग के बारे में जरूर पता होना चाहिए। यह किला सुबह 8 बजे पर्यटकों के लिए खोल दिया जाता है और 6 बजे तक खुला रहता है। आप इस समय के अनुसार कभी भी इस ऐतिहासिक किले में विजिट कर सकते हैं।
- टाइमिंग:- 8am to 6pm
झाँसी किले में होने वाला साउंड & लाइट शो
इस किले के अंदर लाइट & साउंड शो का आयोजन भी किया जाता है, जिसे आप देख सकते हैं। यह लाइट & साउंड शो शाम 7 बजे शुरू होता है, जिसका टिकट प्राइस 50 रुपये प्रति व्यक्ति होता है।
- टाइमिंग:- 7 बजे (हिंदी), 8 बजे (इंग्लिश)
- टिकट:- 50 रुपये
झाँसी किले का टिकट
इस किले में एंट्री करने के लिए और इसे एक्स्प्लोर करने के लिए आपको इसका एंट्री टिकट लेना होगा। जो भारतीयों नागरिको के लिए 25 रुपये और विदेशी पर्यटकों के लिए 300 रुपये प्रति व्यक्ति होता है।
झाँसी किले में आने का सबसे अच्छा समय
यदि इस किले में विजिट करने के सबसे अच्छे समय की बात की जाए तो वो “अक्टूबर से मार्च” के बीच का होता है। इन महीनो के दौरान ही यहाँ पर “झाँसी महोत्सव” का आयोजन किया जाता है, जो लगभग फरवरी के महीने में शुरू होता है और यह महोत्सव लगभग 1 हफ्ता तक चलता है। फरवरी के महीने में विजिट करना इसलिए भी अच्छा होता है क्योंकि इस समय मौसम भी काफी अच्छा होता है और इसके साथ ही आपको झाँसी महोत्सव देखने का भी मौखा मिलता है।
झाँसी किले तक कैसे पहुंचे?
यह किला झाँसी शहर में स्थित है, जो उत्तर प्रदेश के साथ-साथ देश के विभिन्न क्षेत्रो से बहुत अच्छे से जुड़ा हुआ है। नीचे हम विस्तार से यहाँ तक पहुंचने के रूट और साधन के बारे में बता रहे हैं, जिसे आप नीचे पढ़ सकते हैं…
सड़कमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?
झाँसी शहर उत्तर प्रदेश और देश के विभिन्न शहर से सड़क परिवहन की सहायता से अच्छे से जुड़ा हुआ है और आप यहाँ तक सरकारी या प्राइवेट बसों की सहायता से आसानी से पहुंच सकते हैं। झाँसी शहर के लिए दिल्ली, आगरा, खजुराहो, कानपुर आदि शहरों से नियमित रूप से बस मिलती रहती हैं, जिनकी सहायता से आप आसानी से किले तक पहुंच सकते हैं।
रेलमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?
झाँसी पहुंचने का सबसे अच्छा साधन रेलमार्ग है, जो काफी आसान और किफायती रहता है। झाँसी किले के पास सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन झाँसी जंक्शन है, जो किले से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ से आप लोकल परिवहन द्वारा झाँसी किले तक पहुंच सकते हैं।
हवाईमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?
आप झाँसी फ्लाइट द्वारा भी पहुंच सकते हो लेकिन फ्लाइट द्वारा आप सिर्फ आधी दूरी ही तय कर सकते हो। झाँसी का सबसे निकटतम एयरपोर्ट ग्वालियर एयरपोर्ट है, जो झाँसी किले से लगभग 103 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ग्वालियर से आप रेलमार्ग या फिर सड़कमार्ग द्वारा झाँसी किले तक पहुंच सकते हो।