कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के गोकर्ण में एक बहुत ही पौराणिक मंदिर स्थित है, जिसे “गोकर्ण महाबलेश्वर मंदिर” या “गोकर्ण मंदिर” के नाम से जाना जाता है। दक्षिण की दो पवित्र नदियों के पास स्थित यह मंदिर जितना पवित्र और चमत्कारिक माना जाता है,उतना ही अधिक पौराणिक और प्राचीन भी माना जाता है। इस प्राचीन मंदिर का उल्लेख रामायण और महाभारत जैसे पवित्र ग्रंथो में मिलता है और इसमें स्थापित शिवलिंग की कहानी रावण से जुड़ी हुयी है। इस मंदिर को “दक्षिण का काशी” की उपाधि से सम्बोधित किया जाता है क्योंकी इसका उत्तर प्रदेश के “काशी” शहर जितना महत्व ही माना जाता है।
इस ब्लॉग में हम इसी पवित्र मंदिर की यात्रा से सम्बंधित सभी जानकारियों को आपसे साझा करेंगे जैसे- मंदिर कहाँ स्थित है? मंदिर का इतिहास, मंदिर की टाइमिंग, मंदिर से जुड़ी पौराणिक कहानी और मंदिर तक आप कैसे पहुंच सकते हैं? आदि। तो ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़े…
गोकर्ण महाबलेश्वर मंदिर कहाँ स्थित है?
गोकर्ण में स्थित महाबलेश्वर एक पौराणिक मंदिर है, जो लगभग 1500 साल पुराना बताया जाता है। यह मंदिर कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के गोकर्ण में दो पवित्र नदियों गंगावली और अग्रिशिनी के पास स्थित है। यह मंदिर लगभग चौथी शताब्दी का बताया जाता है और इसे कदंब वंश के शासक राजा मयूर ने बनवाया था।
- पता:- कोटितीर्थ रोड गोकर्ण कर्नाटक 581326
गोकर्ण मंदिर का इतिहास
गोकर्ण मंदिर लगभग 1500 साल पुराना है और इसे चौथी शताब्दी में कदंब वंश के शासक राजा मयूर ने बनवाया था। यह एक बहुत ही प्राचीन और पौराणिक मंदिर है जिससे सम्बंधित कुछ पौराणिक कहानिया प्रसिद्ध हैं। जिनमे से सबसे प्रमुख कहानी लंकापति राजा रावण से सम्बंधित बताई जाती है।
ऐसा बताया जाता है की रावण भगवान शिव का परम् भक्त था और वह भगवान शिव को लंका में लाना चाहता था, जिसके लिए उसने कठिन तप करके भगवान शिव से आत्मलिंग प्राप्त किया। जब रावण आत्मलिंग लेकर लंका की ओर जा रहा था तब भगवान गणेश छल से आत्मलिंग को पृथ्वी पर रख देते हैं, जिससे वह शिवलिंग पृथ्वी में धस जाती है और रावण के अत्यत्न प्रयास करने पर भी नहीं उठती है।
जिससे थक-हारकर रावण क्रोधित होकर भगवान गणेश के सिर पर बार करता है और शिवलिंग को छोड़कर चला जाता है। आज गोकर्ण महाबलेश्वर मंदिर में स्थापित शिवलिंग वही आत्मलिंग बताई जाती है और इसके दर्शन 40 साल में सिर्फ एक बार किये जाते हैं।
महाबलेश्वर मंदिर के सामने एक भगवान गणेश का मंदिर स्थापित है जिसकी मूर्ति के सिर पर एक चोट का निशान है। ऐसा कहा जाता है की देवतागण नहीं चाहते थे की रावण भगवान शिव की आत्मलिंग को लंका में स्थापित करे, इसी वजह से भगवान गणेश एक योजना से रावण को आत्मलिंग ले जाने से रोक देते हैं।
इसी से प्रसन्न होकर भगवान शिव, गणेश जी को वरदान देते हैं की मेरे दर्शन करने से पहले श्रद्धालु तुम्हारे दर्शन करेंगे अन्यथा उनकी यह यात्रा पूर्ण नहीं मानी जाएगी। इसी वजह से यहाँ आने वाले श्रद्धालु सबसे पहले महागणपति मंदिर में भगवान गणेश के दर्शन करते हैं और उसके बाद ही महाबलेश्वर मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करते हैं।
गोकर्ण मंदिर की टाइमिंग
इस मंदिर में दर्शन करने से पहले आपको इस मंदिर की टाइमिंग के बारे में जरूर जान लेना चाहिए। यह मंदिर हफ्ता में सातों दिन खुला रहता है। यदि मंदिर में दर्शन की टाइमिंग के बारे में बात की जाए तो यह मंदिर सुबह 6 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक खुला रहता है और फिर शाम में 5 बजे से रात 8 बजे तक खुला रहता है।
- टाइम- सुबह 6 से दोपहर 12:30 बजे तक शाम 5 बजे से रात 8 बजे तक
गोकर्ण मंदिर का ड्रेस कोड (Dress code)
यदि आप इस मंदिर में दर्शन करने आ रहे हैं तो आपको इस मंदिर के ड्रेस कोड के बारे में जरूर पता होना चाहिए। यदि आप इस मंदिर में मॉडर्न कपड़े जैसे- पैंट, शर्ट, शॉर्ट्स, जींस पैंट, ट्राउजर, कुर्ता पैजामा आदि पहनकर आते हैं तो आपको इस मंदिर में प्रवेश नहीं मिलेगा। इस मंदिर में आप सिर्फ धोती पहनकर ही प्रवेश कर सकते हैं और महिलाएं सामान्य साड़ी पहनकर ही इस मंदिर में प्रवेश कर सकती हैं। महागणपति मंदिर में आपको शर्ट और पैंट पहनकर प्रवेश मिल जायेगा लेकिन आप इन कपड़ो में सिर्फ दूर से ही दर्शन कर सकते हैं। आप मंदिर के बाहर लगी दुकानों से अपने लिए धोती खरीद सकते हैं।
गोकर्ण मंदिर आने का सबसे अच्छा समय
महाबलेश्वर मंदिर, जो गोकर्ण मंदिर के नाम से जाना जाता है, यह कर्नाटक के गोकर्ण में स्थित है, यहाँ इस मंदिर के अलावा भी बहुत से और भी प्रसिद्ध मंदिर हैं जो लोगो को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इसके अलावा गोकर्ण में भारत के रात में चमकने वाले समुद्र तट हैं, जो प्रकृति से प्रेम करने वाले लोगो को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। गोकर्ण प्रकृति सुंदरता के साथ-साथ प्राचीन धार्मिक आस्था का केंद्र है, जिस वजह से यहाँ आने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच का माना जाता है।
गोकर्ण महाबलेश्वर मंदिर की बनावट
यह प्राचीन मंदिर भारतीय वास्तुकला का एक अद्धभुत नमूना पेश करता है। इस मंदिर को सफेद ग्रेनाइट पत्थरो द्वारा द्रविड़ शैली में बनाया गया है। मंदिर की दीवारों पर बहुत सी देवी-देवताओं की आकर्ति को उकेरा गया है। इसके साथ ही मंदिर की दीवारों पर रामायण और महाभारत का उल्लेख किया गया है। मंदिर के अंदर एक शालिग्राम पीठ स्थित है जिसके अंदर 6 फिट ऊँची शिवलिंग स्थापित है, जिसे “आत्मलिंग” के नाम से सम्बोधित किया जाता है।
गोकर्ण मंदिर में दर्शन कैसे करें?
गोकर्ण महाबलेश्वर मंदिर में दर्शन करने की एक विधि है। इस मंदिर में दर्शन करने से पहले आपको कारवार बीच पर स्नान करना होगा उसके बाद आपको महागणपति मंदिर में भगवान गणेश के दर्शन करने होंगे। उसके बाद ही आप महाबलेश्वर मंदिर में भगवान शिव के दर्शन कर सकते हैं, अन्यथा मंदिर में दर्शन पूर्ण नहीं माने जाते हैं।
गोकर्ण मंदिर कैसे पहुंचे?
गोकर्ण कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले में स्थित है और यहाँ तक पहुंचना काफी आसान है। आप सड़कमार्ग, रेलमार्ग और हवाईमार्ग द्वारा गोकर्ण का सफर तय कर सकते हैं। नीचे हम गोकर्ण पहुंचने के साधनो के बारे में बता रहे हैं, जिसे आप पढ़ सकते हैं…
सड़कमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?
गोकर्ण पहुंचने का सबसे अच्छा और सरल साधन सड़कमार्ग है, जिसके द्वारा आप आसानी से गोकर्ण तक पहुंच सकते हैं। गोकर्ण के लिए बैंगलोर, मैंगलोर, चेन्नई आदि शहरों से कर्नाटक की सरकारी बस सेवा उपलब्ध है जिसकी सहायता से आप आसानी से गोकर्ण तक पहुंच सकते हैं। इसके अलावा आप प्राइवेट गाड़ी भी बुक कर सकते हैं और गोकर्ण तक पहुंच सकते हैं। गोकर्ण तक का सफर सड़कमार्ग द्वारा सबसे खूबसूरत सफर में से एक होता है।
रेलमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?
गोकर्ण तक पहुंचने के लिए आप रेलमार्ग की सहायता भी ले सकते हैं। गोकर्ण में तो कोई भी रेलवे स्टेशन मौजूद नहीं है, यहाँ का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन, अंकोला रेलवे स्टेशन है, जो गोकर्ण से 24 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अंकोला के लिए भारत के विभिन्न शहरों जैसे दिल्ली, हैदराबाद, बैंगलोर, और चेन्नई आदि से ट्रेने उपलब्ध हैं। अंकोला से आप प्राइवेट टैक्सी या फिर शेयरिंग टैक्सी की सहायता से गोकर्ण तक पहुंच सकते हैं।
हवाईमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?
गोकर्ण तक आप हवाईमार्ग द्वारा भी पहुंच सकते है लेकिन यदि आप बैंगलोर या कर्नाटक के बाहर के किसी शहर से आ रहे हैं तो फ्लाइट के माध्यम से आना ठीक रहता है अन्यथा आप रेलमार्ग या सड़कमार्ग का उपयोग कर सकते हैं। गोकर्ण के सबसे नजदीक एयरपोर्ट डबोलिन एयरपोर्ट है, जो गोकर्ण से 140 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ से आपको गोकर्ण की यात्रा सड़क मार्ग द्वारा पूरी करनी होगी।
FAQ
- Q.1 गोकर्ण मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
- Ans. गोकर्ण को हिन्दू धर्म के सात मुक्तिस्थलों में से एक माना जाता है। इसके साथ ही यहाँ पर भगवान शिव आत्मलिंग के रूप में विराजमान है जिसे वजह से गोकर्ण इतना प्रसिद्ध है।
- Q.2 गोकर्ण मंदिर एड्रेस (Address)
- Ans. कोटितीर्थ रोड डंडेबाघ गोकर्ण कर्नाटक 581326