उत्तर प्रदेश के प्रयागराज शहर को “तीर्थो का तीर्थ” कहा जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के निर्माण करने के बाद ब्रह्मा जी ने सबसे पहला यज्ञ प्रयागराज में ही किया था। इस शहर को आध्यात्मिक और संस्कृति का केंद्र बिंदु भी कहा जाता है क्योंकि प्रयागराज में आपको प्राचीन संस्कृति के कुछ अंश देखने को मिलेंगे इस अलावा यहाँ के त्रिवेणी संगम और घाटों पर आपको आध्यात्मिक वातावरण महसूस करने को मिल जायेगा।
प्रयागराज में हर 12 साल बाद लगने वाला कुंभ मेला और हर वर्ष लगने वाला माघ मेला पर्यटकों को सबसे ज्यादा आकर्षित करता है। इसके अलावा प्रयागराज में हर 6 वर्ष बाद अर्ध कुंभ मेले का आयोजन भी किया जाता है, जिसमे लाखों की संख्या में श्रद्धालु गंगा जी और त्रिवेणी संगम पर स्नान करने आते हैं। इस साल 2025 में महा कुंभ मेले का आयोजन प्रयागराज में किया जा रहा है, जिसकी जानकारी हम अपने पिछले ब्लॉग में दे चुकें हैं। तो यदि आप कुंभ मेले में टेंट बुकिंग या मेले की अन्य तरह की जानकारी जानना चाहते हैं तो उन्हें जरूर पढ़े।
इस ब्लॉग में हम प्रयागराज के बेस्ट पर्यटक स्थलों (Best Places to visit in Prayagraj) के बारे में जानेंगे। जिससे आप जब भी प्रयागराज की यात्रा करें तो आप हमारे द्वारा बताई गयी जगहों पर विजिट कर सकें। इस ब्लॉग में हम आपको लाइन बाई लाइन तरीके से स्थलों के बारे में बताएंगे कि आप सबसे पहले किस स्थान पर जाए और उसके बाद किन-किन स्थानों पर जाएँ। तो ब्लॉग को अंत तक और ध्यान से पढ़े…
1. त्रिवेणी संगम
आप अपनी यात्रा की शुरुआत त्रिवेणी संगम घाट से कर सकते हैं। यदि आपने राम बाग या प्रयागराज रेलवे स्टेशन के पास अपना रूम लिए है तो आप वहां से 20 रुपये में त्रिवेणी संगम तक पहुंच जायेंगे। त्रिवेणी संगम वह स्थान है, जहाँ पर तीन पवित्र नदियों गंगा, यमुना, और सरस्वती का संगम होता है। आपको घाट से संगम तक पहुंचने के लिए बोट का सहारा लेना होगा जो आपको संगम स्थल तक पंहुचा देगी। बोट की सहायता से संगम पर स्नान करने के लिए 20 रुपये का चार्ज देना होता है।
- बोट चार्ज:- 100 से 150 रुपये
- स्नान किराया:- 20 रुपये
- बेस्ट टाइम:- माघ मेला, अर्धकुंभ मेला और महा कुंभ मेला
2. अक्षयवट
प्रयागराज के घाटों के पास में एक बहुत बड़ा किला बना हुआ है, जिसे “प्रयागराज किला” या “अकबर किला” भी कहा जाता है। यह किला भारतीय सेना के अधीन है, लेकिन इसके कुछ हिस्से में पर्यटकों के लिए जाने की अनुमति है और उसी में स्थित है “अक्षयवट”।
अक्षयवट एक प्राचीन स्थान है, जिसके बारे में कहा जाता है की यह तीन युगो से अपने स्थान पर ज्यों का त्यों बना हुआ है। अक्षयवट का उल्लेख हिन्दू धर्म के पौराणिक ग्रंथो में मिलता है और ऐसा माना जाता है की इस स्थान पर भगवान राम, पांडव और श्री कृष्ण का आगमन हुआ है। प्रयागराज में घाटों के पास बना यह स्थान बहुत ही पवित्र माना जाता है इसलिए प्रयागराज आने पर आप यहाँ पर जरूर विजिट करें।
- मान्यता:- अक्षयवट को लेकर एक धार्मिक मान्यता है। ऐसा माना जाता है की इस वृक्ष के चारो ओर की परिक्रमा करना ब्रह्माण्ड की परिक्रमा करने जैसा है।
- टाइम:- सुबह 6 बजे से शाम 8 बजे तक
३. पातालपुरी मंदिर
अक्षयवट के पास ही किले के अंदर एक ओर पातालपुरी मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर में पहुंचने के लिए आपको प्रागण में बनी एक गुफा से होकर जाना होता है। यह मंदिर भी बहुत ही प्राचीन मंदिर है और यह अक्षयवट के नीचे ही स्थित है। इस मंदिर में बहुत से देवी-देवताओ की मूर्ति बनी हुयी हैं, जिनके आप दर्शन कर सकते हैं। तो आप एक बार इस मंदिर में जरूर विजिट करें, जो आपको एक अद्धभुत अनुभव प्रदान करेगा।
- कैसे पहुंचे:- मंदिर प्रयागराज किले के अंदर स्थित है, जहाँ तक आप पैदल चलकर पहुंच सकते हैं।
- कहानी:- इस मंदिर से सम्बंधित एक रोचक कहानी बताई जाती है और ऐसा कहा जाता है की इस मंदिर में एक कुंआ हुआ करता था। मुगल काल के बादशाह अकबर के समय में इस कुए के बारे में एक बात फैल गयी की जो भी इस कुंए में कूदकर अपनी जान देगा, उसे स्वर्ग की प्राप्ति होगी। जिस वजह से लोग उस कुएं में कूदकर अपनी जान देने लगे और एक समय के बाद वह पूरा कुआं शवों से भर गया। जिसके बाद अकबर के आदेश पर उस कुएं को बंद कर दिया गया जो आज भी पातालपुरी मंदिर में स्थित है।
4. बड़े हनुमान मंदिर
घाटों के पास स्थित प्रमुख स्थलों पर घूमने के बाद आप बड़े हनुमान मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करने के लिए जा सकते हैं। प्रयागराज किले से बड़े हनुमान मंदिर की दूरी लगभग 1 किलोमीटर की है, जिसे आप पैदल या फिर 20 रुपये देकर ऑटो द्वारा पूरी कर सकते हैं।
यह देश का एक मात्र ऐसा मंदिर है जिसमे आप हनुमान जी की “लेटे हुए मुद्रा” में दर्शन करे सकते हैं, जिस वजह से इसे “लेटे हुए हनुमान मंदिर” के नाम से भी जाना जाता है और यह मंदिर लगभग 600 से 700 वर्ष पुराना है। हनुमान जी को प्रयागराज का “कोतवाल” भी कहा जाता है, जिस वजह से प्रयागराज आने पर इस मंदिर में दर्शन के बाद ही प्रयागराज की यात्रा पूर्ण मानी जाती है।
- मंदिर की टाइमिंग:- सुबह 4:30 बजे से दोपहर 2 बजे तक शाम में 4:30 बजे से रात 9:30 बजे तक
- मंगलवार और शनिवार टाइमिंग:- सुबह 4:30 बजे से दोपहर 2 बजे तक शाम 4:30 बजे से रात 10:30 बजे तक
- कहानी:- इस मंदिर को लेकर एक कहानी बताई जाती है और ऐसा कहा जाता है कि लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद अयोध्या वापसी के समय माता सीता ने हनुमान जी को कुछ समय विश्राम करने का आदेश दिया था। जिस वजह से आप इस मंदिर में हनुमान जी के लेटे हुए स्वरुप में दर्शन कर सकते हैं।
5. अलोपी देवी मंदिर
प्रयागराज शहर में माता के 51 शक्ति पीठो में से एक अलोपी देवी शक्तिपीठ स्थित है। इस मंदिर की सबसे ख़ास बात यह है कि इस मंदिर में माता के किसी भी रूप की पूजा नहीं की जाती है बल्कि इस मंदिर में एक झूले की पूजा की जाती है और ऐसा माना जाता है कि इस झूले का सम्बन्ध माता से है।
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जब भगवान शिव माता सती के शरीर को लेकर पूरे ब्रह्माण्ड में तांडव कर रहे थे तब माता सती का एक हाथ इस जगह गिरा और शिव के मुख से निकला माता आलुप हो गयी, जिस वजह से इस मंदिर का नाम अलोपी देवी मंदिर पड़ा। यह मंदिर बड़े हनुमान मंदिर के पास ही स्थित है और आप मंदिर तक ऑटो द्वारा आसानी से पहुंच जाएंगे।
- मंदिर टाइमिंग:- सुबह 5 बजे से रात 9 बजे तक
- सबसे अच्छा समय:- नवरात्री के दौरान
- कैसे पहुंचे:- बड़े हनुमान मंदिर से यह मंदिर 2 किलोमीटर की दूरी पर है। आप बड़े हनुमान मंदिर से ऑटो द्वारा 20 रुपये में अलोपी देवी मंदिर तक पहुंच जाएंगे।
6. भारद्वाज पार्क
प्रयागराज में संगम में स्नान और मंदिरो में दर्शन करने के बाद आप कुछ समय “भारद्वाज पार्क” में व्यतीत कर सकते हैं। यह पार्क भारद्वाज मुनि को समर्पित है और इसमें भारद्वाज मुनि की एक बहुत बड़ी प्रतिमा स्थापित है। यह पार्क शनिवार और रविवार को बंद रहता है तो आप इस बात का जरूर ख्याल रखे।
पार्क बहुत बड़ा है जिसके एक हिस्से में आपको भारद्वाज मुनि के आश्रम की एक छोटी सी झलक देखने को मिलेगी। पार्क के बाहर कुछ दुकाने और कैफ़े स्थित हैं, जहाँ आप खाना खा सकते हैं। प्रयागराज में घूमने के लिए यह एक बहुत ही अच्छी जगह है, जहाँ प्रकृति के बीच धार्मिक वातावरण महसूस होता है।
- एंट्री टिकट प्राइस:- 10 रुपये प्रति व्यक्ति
- पार्क टाइमिंग:- सुबह 8 से शाम 6 बजे तक
- बंद होने का दिन:- शनिवार और रविवार
7. भारद्वाज आश्रम
भरद्वाज पार्क से लगभग 250 मीटर की पैदल दूरी पर स्थित है, “भारद्वाज आश्रम”। यह आश्रम भगवान राम के समय का ही बताया जाता है और ऐसा माना जाता है कि भगवान राम का इस जगह आगमन हुआ था। श्री राम अपने वनवास के दौरान चित्रकूट का रास्ता पूछने के लिए भारद्वाज आश्रम में आये थे।
आप इस आश्रम में विजिट कर सकते हैं और आप श्री राम सहित ऋषि भारद्वाज जी के दर्शन कर सकते हैं। इस आश्रम में अब अलग-अलग बनी कुटियों को पक्का बना दिया गया है। इसके साथ ही आश्रम में बहुत से मंदिर, कुएं और एक गुफा भी स्थित है। तो आप एक बार इस आश्रम में जरूर विजिट करें।
- आश्रम की टाइमिंग:- सुबह 4:30 बजे से रात 10 बजे तक
- कैसे पहुंचे:- आप भारद्वाज पार्क से पैदल ही इस आश्रम तक पहुंच सकते हैं।
8. आनंद भवन
भारद्वाज आश्रम से लगभग 350 मीटर की दूरी पर आनंद भवन म्यूजियम स्थित है। इसे 1927 में श्री मोती लाल नेहरू जी ने बनवाया था और इसी भवन में इंदिरा गाँधी जी का जन्म हुआ था। इसके बाद 1970 में श्रीमती इंदिरा गाँधी जी ने इसे कोष को सौप दिया था, जिसके बाद इसे एक म्यूजियम में बदल दिया गया। आप इस भवन में विजिट करके नेहरू जी के परिवार से सम्बंधित बहुत सी चीजों को देख सकते हो। इस म्यूजियम में आपको तस्वीरों के माध्यम से बहुत कुछ देखने को मिल जायेगा। तो आप इस म्यूजियम में भी एक बार जरूर विजिट करें।
- म्यूजियम टाइमिंग:- सुबह 10 बजे 1 बजे तक और 1:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक
- बंद होने का दिन:- सोमवार
9. चंद्रशेखर आजाद पार्क
आप अपनी यात्रा के दौरान प्रयागराज के सबसे ऐतिहासिक स्थल पर भी विजिट कर सकते हैं, जो “चंद्रशेखर आजाद पार्क” के नाम से जाना जाता है। यह वही पार्क है, जहाँ श्री चंद्र शेखर आजाद जी भारत को आजाद कराने की लड़ाई लड़ते हुए शहीद हुए थे। इस पार्क में आज भी वह पेड़ मौजूद है, जहाँ पर आजाद जी शहीद हुए थे और वहीं पर आज वर्तमान समय में श्री चंद्र शेखर आजाद जी की एक बड़ी सी प्रतिमा स्थापित है। यह बहुत बड़ा पार्क है, जिसे पूरा घूमने में आपको कम-से-कम 1 से 2 घंटे का समय लगेगा।
- पार्क टिकट चार्ज:- 10 रुपये प्रति व्यक्ति
- पार्क टाइमिंग:- सुबह 5 बजे से रात 9 बजे तक
- कैसे पहुंचे:- यह भारद्वाज पार्क से मात्र 700 मीटर की दूरी पर स्थित है। जिसे आप पैदल ही तय कर सकते हैं।
10. नाग वासुकी मंदिर
शाम के समय में आप नाग वासुकी मंदिर में विजिट कर सकते हैं, जो प्रयागराज का एक और पौराणिक और प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह समुद्र मंथन से जुड़ा हुआ है। समुद्र मंथन के दौरान वासुकी नाग ने ही अपने आप को मंदराचल पर्वत के चारो ओर लिपटकर समुद्र मंथन में सहायता की थी।
इस मंदिर का उल्लेख स्कंदपुराण में मिलता है और ऐसा कहा जाता है कि प्रयागराज में गंगा जी में स्नान करके नाग वासुकी मंदिर में दर्शन करने से सभी पापों का नाश होता है और सर्प दोष से सदा-सदा के लिए मुक्ति मिल जाती है। यह मंदिर त्रिवेणी घाट से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और आप ऑटो द्वारा आसानी से यहाँ पर आ सकते हैं।
- मंदिर टाइमिंग:- सुबह 5:30 बजे से 10 बजे तक
- कैसे पहुंचे:- यह मंदिर चंद्र शेखर आजाद पार्क से मात्र 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आप वहां से ऑटो द्वारा आसानी से इस मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
- सबसे अच्छा समय:- नाग पंचमी के दौरान