देव दिवाली बनारस 2024 | बनारस देव दिवाली यात्रा की सभी जानकारी, 3-दिन का यात्रा प्लान? बजट? कहाँ रुके? आदि

बनारस, जो “काशी” या “वाराणसी” के नाम से भी जाना जाता है यह एक बहुत ही दिव्य शहर है। इसे भगवान शिव की नगरी के रूप में जाना जाता है और ऐसा माना जाता है की इस शहर को स्वयं भगवान शिव ने बसाया था। इसी वजह से यहाँ की यात्रा करना बहुत ही शुभ और गंगा नदी में डुबकी लगाना मोक्षकारी माना जाता है।

इस शहर में वैसे तो हर समय भक्तो और तीर्थ यात्रियों को मेला लगा रहता है लेकिन यहाँ मनाई जाने वाली देव दिवाली लोगो को बहुत ज्यादा आकर्षित करती है। यह पर्व हर साल दिवाली के 15 दिन बाद मनाया जाता है, जो शिव भक्तो, तीर्थयात्रियों, और खोजी यात्रियों को बहुत ज्यादा आकर्षित करता है।

इस ब्लॉग में हम बनारस में मनाये जाने वाले इस पर्व के बारे में और इस समय में की जाने वाली बनारस की यात्रा के बारे में जानेंगे। नीचे हम विस्तार पूर्वक बनारस की 3 दिन की यात्रा के प्लान के बारे में, यहाँ रुकने और इस दौरान खर्च होने वाले बजट के बारे में जानेंगे। तो ब्लॉग को अंत तक और ध्यान पूर्वक पढ़े…

देव दिवाली पर्व क्या है?

देव दिवाली, जिसे “देव दीपावली” के रूप में भी जाना जाता है, उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में मनाया जाने वाला एक भव्य त्योहार है, जो राक्षस त्रिपुरासुर पर भगवान शिव की जीत का प्रतीक है। हिंदू महीने कार्तिक की पूर्णिमा की रात (कार्तिक पूर्णिमा) को पड़ने वाला यह त्योहार दिवाली के 15 दिन बाद आता है।

ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवता पृथ्वी पर उतरते हैं और गंगा नदी में स्नान कर गंगा नदी के तट पर दिवाली मनाते हैं। पूरा शहर, विशेष रूप से नदी के किनारे घाट, हजारों मिट्टी के दीयों से रोशन किये जाते हैं, जो एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला वातावरण बनाते हैं जो दुनिया भर के तीर्थयात्रियों, पर्यटकों और भक्तों को आकर्षित करता है।

देव दिवाली के दौरान वाराणसी क्यों जाएँ?

देव दिवाली के दौरान वाराणसी आध्यात्मिक और भव्य दृश्यों में बदल जाती है। यह शहर भक्ति, संस्कृति और उत्सव के जीवंत रूप में बदल जाता है। गंगा पर तैरते लाखों दीयों का दृश्य, भक्ति भजनों की ध्वनि और धूप से भरी हवा शांति और आध्यात्मिकता का वातावरण बनाती है। इस दौरान गंगा आरती सामान्य से अधिक विस्तृत होती है, और घाट जीवंत सजावट से सजाए जाते हैं। धार्मिक महत्व के अलावा, पर्यटक इस त्योहार के दौरान शहर भर में आयोजित सांस्कृतिक प्रदर्शन, शास्त्रीय संगीत समारोह और लोक नृत्य कार्यक्रमों का भी आनंद ले सकते हैं।

देव दिवाली के दौरान बनारस के हर घाट को दियो, रंगोली, और फूलो द्वारा सजाया जाता है। इस पर्व पर बनारस के हर घाट पर आरती की जाती है और आरती के बाद घाटों पर पटाखे बजाये जाते हैं। इस दिन घाटों पर जो मुख्य आकर्षण होता है वह लेज़र लाइट शो होता है, जो घाटों को रंगीन लाइटों की चमक में बिखेर देता है।

बनारस की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय

आप बनारस की यात्रा का प्लान बारिश के मौसम को छोड़कर किसी भी समय बना सकते हैं। यह शहर हर मौसम में आपको एक अलग अनुभव और एहसास प्रदान करेगा। यदि आप देव दिवाली के दौरान यहाँ का प्लान बना रहे हैं तो देव दिवाली कार्तिक पूर्णिमा को मनाई जाती है, जो आमतौर पर अक्टूबर से नवंबर के बीच में पड़ती है। इन महीनो में मौसम आमतौर पर साफ, सुबह और शाम को ठण्ड पड़ती है। जिससे यह समय बनारस की यात्रा करने का सबसे अनुकूल होता है।

वाराणसी कैसे पहुंचे?

हवाई मार्ग से:– वाराणसी भारत के प्रमुख शहरों से हवाई मार्ग द्वारा अच्छे से जुड़ा हुआ है। लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा शहर के केंद्र से लगभग 26 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जो बनारस का सबसे निकटम एयरपोर्ट है। बनारस के लिए दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और बेंगलुरु जैसे शहरों से नियमित उड़ानें संचालित होती हैं। हवाई अड्डे से, आप अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए आसानी से टैक्सी और शेयरिंग ऑटो किराए पर ले सकते हैं।

रेलमार्ग से:- वाराणसी जंक्शन (जिसे वाराणसी कैंट के नाम से भी जाना जाता है) मुख्य रेलवे स्टेशन है और पूरे भारत के शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। 20 किलोमीटर दूर स्थित पंडित दीनदयाल रेलवे स्टेशन एक अन्य प्रमुख स्टेशन है। एक्सप्रेस और सुपरफास्ट ट्रेनों सहित देश के सभी हिस्सों से ट्रेनें इन स्टेशनों पर रुकती हैं। बनारस का सफर ट्रेन द्वारा सबसे आराम दायक और सस्ता होता है।

सड़क मार्ग:- वाराणसी में एक मजबूत सड़क नेटवर्क है और यह राष्ट्रीय राजमार्गों के माध्यम से देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। लखनऊ, इलाहाबाद और पटना जैसे आस-पास के शहरों से सरकारी और निजी दोनों तरह की बसें नियमित रूप से चलती हैं। इसके अलावा आप अपनी गाड़ी और प्राइवेट गाड़ी द्वारा भी बनारस तक सड़क मार्ग द्वारा पहुंच सकते हैं। लेकिन यह मार्ग थोड़ा खर्चीला, थकान भरा और समय दायक हो सकता है।

कहाँ रुके?

बनारस में रुकने के लिए आपको अच्छे और सस्ते होटल्स, गेस्ट हाउस , धर्मशाला और डारमेट्री मिल जाएँगी। लेकिन किसी पर्व या त्यौहार के दौरान यहाँ रूम मिलना बहुत मुश्किल होता है। इसी लिए यदि आप देव दिवाली पर यहाँ आने का प्लान करते हैं तो देव दिवाली से कुछ दिन पहले ही अपने लिए ऑनलाइन रूम बुक कर लें। बनारस में आपको हर तरह के शानदार और मध्यम श्रेणी के होटल्स मिल जायेंगे, जो घाटों और गंगा माँ के खूबसूरत दृश्यों के साथ एक शांत और शिवमय वातावरण को प्रदान करते हैं।

होमस्टे और बजट विकल्प

यदि आप एक बजट यात्री या सोलो ट्रवेलेर हैं तो आप किसी डारमेट्री (छात्रावास) का विकल्प चुन सकते हैं। यह आपको सस्ता और आरामदायक पड़ेगा। इसके अलावा आपको यहाँ पर बहुत सी धर्मशालाएं देखने को मिल जाएँगी जिसमे आपको AC और Non-AC दोनों तरह के रूम मिल जायेंगे। यहाँ आपको कुछ होम स्टे के विकल्प भी मिल जायेंगे।

देव दिवाली बनारस के प्रमुख आकर्षण

  • गंगा आरती और दीयों की रोशनी:- दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती देव दिवाली का मुख्य आकर्षण होता है। पुजारी आरती, धूप और शंख के साथ विस्तृत अनुष्ठान करते हैं, जबकि घाटों पर हजारों दीये जलाए जाते हैं और नदी में तैरते हैं। यह दृश्य एक आध्यात्मिक और अविस्मरणीय अनुभव को प्रदान करता है।
  • गंगा जी में नाव की सवारी:- देव दिवाली के दौरान गंगा जी में नाव की सवारी आपको नदी से प्रकाशित घाटों के भव्य दृश्य को देखने की अनुमति देता है। यह उत्सव में शामिल होने का एक शांतिपूर्ण तरीका है, विशेष रूप से तब जब हजारों दीयों का प्रतिबिंब पानी पर मानो नृत्य करता हुआ दिखाई पड़ता है।
  • शाम की यात्रा और सांस्कृतिक कार्यक्रम:- वाराणसी की सड़कें शाम में यात्राओं से जीवंत हो जाती हैं जो सुंदर मूर्तियों, संगीत और नृत्य के साथ गंगा के घाटों तक जाती हैं। कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें शास्त्रीय संगीत, नाटक और लोक नृत्य शामिल होता है, जिससे पर्यटकों को शहर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का अनुभव करने का मौका मिलता है।
  • प्रसिद्ध मंदिरों की यात्रा:- वाराणसी हिंदू धर्म के कुछ सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों का घर है। देव दिवाली के दौरान, काशी विश्वनाथ, संकट मोचन और दुर्गा मंदिर जैसे मंदिरों को बहुत ही सुंदरता के साथ सजाया जाता है, और विशेष प्रार्थनाएँ की जाती हैं। इस शुभ समय में इन मंदिरों की यात्रा करना बहुत ही शुभ होता है।

देव दिवाली यात्रा प्लान: 3-दिन प्लॉन

यदि आप देव दिवाली पर बनारस की यात्रा करना चाहते हैं तो आप यहाँ की यात्रा का 3 दिन का प्लान कर सकते हैं जिसमे आप पहले दिन आगमन और बनारस की गलियों में घूम सकते हैं दूसरे दिन देव दिवाली के दिन मंदिरो और घाटों की यात्रा कर सकते हैं और तीसरे दिन बनारस के आस पास के प्रसिद्ध मंदिरो और जगहों की यात्रा कर सकते हैं। इन तीन दिनों की यात्रा के बारे में हम नीचे विस्तार से बता रहे हैं…

दिन 1:- आगमन और शहर घूमना

वाराणसी पहुँचें और शहर की घुमावदार सड़कों, भीड़भाड़ वाले बाजारों और मंदिरों की यात्रा में दिन बिताएं। काशी विश्वनाथ मंदिर जाएँ और आध्यात्मिक वातावरण में डूबने के लिए घाटों के वातावरण को अनुभव करें। एक स्थानीय रेस्तरां में जल्दी रात के खाने के साथ दिन का अंत करें।

Morning

सुबह में बनारस तक पहुंचे और एक अच्छे से होटल, गेस्ट हाउस या डारमेट्री में रूम बुक करें।

Afternoon

अपने रूम में रात के सफर की थकान दूर करने के बाद आप बनारस से सारनाथ घूमने के लिए निकल जाए। बनारस से सारनाथ की दूरी लगभग 10 किलोमीटर है तो आप शाम तक घूम कर आराम से बनारस पहुंच जायेंगे। इसके बाद आप हनुमान मंदिर में दर्शन करने के लिए निकल जाएँ।

Evening

शाम के वक़्त गंगा आरती में शामिल हों। कुछ समय बनारस के घाटों पर व्यतीत करे और फिर बनारस की गलियों में रात का खाना खाने के लिए निकल जाए और वापस रूम पर आकर आज के दिन को अलविदा कहें।

दिन 2:- देव दिवाली उत्सव में शामिल

यात्रा के दूसरे दिन देव दिवाली के उत्सव को महसूस करे। सुबह मंदिर की यात्रा से शुरुआत करें, उसके बाद घाटों पर घूमें और शाम को, दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती में भाग लें और दीयों की रोशनी और लेज़र लाइट शो का आनंद लें। गंगा नदी से प्रकाशित घाटों की सुंदरता को देखने के लिए नाव की सवारी करें। इसके बाद कुछ समय इस उत्सव में होने वाले कार्यक्रमों को देखे और उनका आनंद लें।

Morning

सुबह उठने के बाद आप बनारस के घाटों पर गंगा जी में स्नान करें। सुबह में अस्सी घाट पर होने वाली आरती में शामिल हों और उसके बाद काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करें। दर्शन करने के बाद बनारस की गलियों में सुबह का नास्ता करें और उसके बाद भगवान काल भैरव के दर्शन करने के लिए निकल जाए।

Afternoon

बनारस के घाटों पर सुबह से ही देव दिवाली की तैयारी शुरू हो जाती है। आज आप दोपहर में कुछ समय आराम करने के बाद घाटों पर आ जाएँ और यहाँ के घाटों की सजावट और रंगोलियों को देखे। आज आपको बनारस के हर एक घाट पर दियो और फूलो की सजावट देखने के लिए मिलेगी । इसके अलावा आप दीयों को जलाने में सहयोग भी करें।

Evening

शाम में आप गंगा आरती में शामिल हों। घाटों पर दीये जलाने में हेल्प करें। इसके अलावा गंगा जी में नाव की सवारी करें और वहां से घाटों की सुंदरता को देखें। देव दिवाली के उपलक्ष में लेज़र शो और फायर वर्क शो को देखें। इन सभी का आनंद लेने के बाद आप रात का भोजन करें और अपने रूम पर आ जाये।

दिन 3:- मंदिर और स्थानीय संस्कृति

अपने अंतिम दिन पर, वाराणसी के कुछ कम ज्ञात मंदिरों में जाएँ और शहर की सांस्कृतिक परंपराओं के बारे में जानने के लिए स्थानीय लोगों के साथ बातचीत करें। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बी. एच. यू.) परिसर में जाने पर विचार करें, जहाँ अक्सर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। जाने से पहले कुछ स्थानीय स्ट्रीट फूड आजमा कर दिन का अंत करें।

Morning

आज के दिन की शुरुआत आप काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने के साथ करे। इसके अलावा आप दुर्गा मंदिर और तुलसी मानस मंदिर में दर्शन करने के लिए जाएँ।

Afternoon

दोपहर के समय में आप बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय घूमने के लिए चले जाए। यहाँ पर बहुत से सांस्कृतिक प्रोग्राम होते रहते हैं। जिसमें आप शामिल हों सकते हैं।

Evening

शाम में बनारस की गलियों में बनारस का स्ट्रीट फ़ूड को टेस्ट करें और इस यात्रा का अंत करें।

बनारस का स्थानीय भोजन

वाराणसी अपने स्ट्रीट फूड और स्थानीय व्यंजनों के लिए प्रसिद्ध है। कुछ स्वादिष्ट व्यंजनों में शामिल हैंः

  • कचोरी सब्जी: एक मसालेदार नाश्ते का व्यंजन जो तले हुए ब्रेड और आलू की सब्जी के साथ परोसा जाता है।
  • बनारसी टमाटर चाट: एक तीखा और मसालेदार टमाटर आधारित नाश्ता।
  • मलइयो: यह एक, केसर और इलायची के साथ स्वाद वाले दूध के झाग से बनी एक शीतकालीन मिठाई होती है। यह आपको ठंडो के तीन महीने ही खाने को मिलेगी इसके अलावा नहीं।
  • बनारसी पान: वाराणसी अपने पान के लिए प्रसिद्ध है, जो विभिन्न मसालों से भरा एक पान का पत्ता होता है।

बजट

आपकी यह यात्रा 3 दिन और 2 रात की होगी। इस यात्रा में आप कम से कम 5000-6000 रुपये का बजट लेकर चल सकते हैं। यह त्यौहार का समय होगा इसलिए ज्यादातर चीजे आपको महंगी ही मिलेंगी। नीचे हमने यात्रा का मुख्य खर्चा कहाँ-कहाँ हो सकता है उसके बारे में विस्तार से बताया है।

  • रूम:- आपको बनारस में 2 रात रुकना होगा। इन दो रातों का रूम का चार्ज 1000 रुपये से 1200 रुपये हो सकता है।
  • लोकल ट्रांसपोर्ट:- यहाँ घूमने के लिए आप Scooty या Bike किराये पर ले सकते हैं जो आपको 400 से 500 रुपये प्रति दिन के हिसाब से मिल जाएगी। इसके अलावा आपको यहाँ तीन दिनों में 1000 से 1500 रुपये तक लोकल ट्रांसपोर्ट में खर्च करने पड़ सकते हैं। यदि आप देव दिवाली के दिन शाम में नाव की सवारी करते हैं तो आपको 1500 से 2500 रुपये प्रति व्यक्ति तक खर्च करने पड़ सकते हैं।
  • फ़ूड:- यदि खाने की बात करें तो आपको 500 रुपये दिन के हिसाब से तीन दिनों में 1500 रुपये खर्च करने पड़ सकते हैं।

देव दिवाली के लिए यात्रा टिप्स

  • ऑनलाइन बुक करें: चूंकि देव दिवाली हजारों पर्यटकों को आकर्षित करती है, इसलिए अपने आवास को पहले से ही ऑनलाइन बुक करना सही रहता है।
  • भारतीय वेश भूषा में रहें: वाराणसी एक गहरा धार्मिक शहर है, इसलिए भारतीय वेश भूषा में रहें, खासकर तब जब आप मंदिरों में जाएँ।
  • सुरक्षित रहें: देव दिवाली के दौरान घाटों पर भीड़ हो सकती है, इसलिए अपने सामान का ध्यान रखें और रात में अपरिचित क्षेत्रों में जाने से बचें।
  • स्थानीय परिवहन: ऑटो-रिक्शा और साइकिल रिक्शा शहर में घूमने का सबसे अच्छा तरीका है। संकीर्ण सड़कों की भूलभुलैया से गुजरने के लिए आप एक गाइड भी रख सकते हैं।

ध्यान रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें

  • स्थानीय रीति-रिवाजों और परंपराओं का सम्मान करें, विशेष रूप से जब धार्मिक समारोहों में भाग लें।
  • गंगा आरती और अन्य अनुष्ठानों के दौरान पुजारियों या स्थानीय अधिकारियों द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें।
  • मंदिर की यात्राओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के समय के बारे में जागरूक रहें, क्योंकि वे भीड़ के आधार पर बदल सकते हैं।

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