इठारना महादेव मंदिर देहरादून | इठारना महादेव मंदिर कहाँ है? कैसे पहुंचे? आदि सभी यात्रा से सम्बंधित जानकारी

उत्तरखंड के देहरादून में बहुत से खूबसूरत मंदिर हैं, जो देहरादून आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं। इसके साथ ही कुछ ऐसे भी मंदिर हैं, जिनके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं और वो प्रकृति के बीच छिपे हुए रत्न की तरह हैं। उन्ही में से एक मंदिर है “इठारना महादेव मंदिर”, जो देहरादून के इठारना गांव में स्थित है। इस मंदिर को ऋषिकेश के “नीलकंठ महादेव मंदिर” का स्वरुप भी माना जाता है।

इस ब्लॉग में हम इस खूबसूरत, इठारना महादेव मंदिर की सभी जानकारियों को आपके साथ साझा करेंगे जैसे- इठारना महादेव मंदिर कहाँ स्थित है? मंदिर तक कैसे पहुंचे? मंदिर का इतिहास? आदि। तो ब्लॉग को अंत तक ध्यान से जरूर पढ़े और यदि आप इस मंदिर की यात्रा पहले कर चुकें है तो अपना अनुभव हमारे साथ साझा करें…

इठारना महादेव मंदिर कहाँ स्थित है?

इठारना महादेव मंदिर उत्तराखंड के देहरादून शहर के गाडूल के इठारना गांव में स्थित है। यह मंदिर देहरादून से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर और ऋषिकेश से 29 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ऋषिकेश और देहरादून की प्राइवेट गाड़ियों द्वारा आप आसानी से इस मंदिर तक पहुंच सकते हैं और यदि आपके पास खुद का वाहन है तब आप लोगो से पूछते हुए आराम से मंदिर तक पहुंच जाओगे।

इठारना महादेव मंदिर का इतिहास?

इठारना महादेव मंदिर का इतिहास बहुत पुराना और प्राचीनतम है। ऐसा माना जाता है की यह मंदिर ऋषिकेश के नीलकंठ महादेव मंदिर का दूसरा स्वरुप है और यदि आप नीलकंठ मंदिर में महादेव के दर्शन नहीं कर सकते हैं तो आप इस मंदिर में दर्शन करने के लिए जा सकते हैं। इस मंदिर की स्थापना किसने की इसका कोई भी प्रमाण मौजूद नहीं है लेकिन इस मंदिर का वर्तमान स्वरुप अभी हाल ही के समय में बनवाया गया है, जिसे इठारना और इसके आस-पास के गांव वालो ने मिलकर बनवाया है।

इठारना महादेव मंदिर की कहानी

यह एक प्राचीन मंदिर है और इस मंदिर से जुड़ी कुछ कहानियां बहुत अधिक प्रसिद्ध हैं। यह मंदिर काफी बड़ा है और इस मंदिर में भगवान शिव के साथ ही माँ चामुंडा, हनुमान जी और नागराज भी विराजमान हैं। इस मंदिर के बारे में बताया जाता है की पूर्व के समय में माँ चामुंडा का वाहन शेर हर रोज इस मंदिर की परिक्रमा किया करता था और माता की पूजा करने के लिए आता था।

इसके अलावा मंदिर के पंडित जी द्वारा और स्थानीय लोगो द्वारा ऐसा भी माना जाता है की इस मंदिर में स्वयं नागराज भगवान शिव की पूजा करने के लिए हर रोज मंदिर में आते हैं। मंदिर आने वाले बहुत से श्रद्धालुओ को नागराज के दर्शन हो चुके हैं।

मंदिर का ओवरव्यू

यह मंदिर गाडूल की खूबसूरत पहाड़ी की चोटी पर बना हुआ है, जिसमे भगवान शिव के नीलकंठ मंदिर के साथ-साथ माता चामुंडा, नागराज मंदिर और हनुमान जी का मंदिर भी स्थित है। मंदिर के अंदर प्रवेश करते ही आपको सबसे पहले हनुमान जी के दर्शन होंगे उसके बाद चामुंडा माता, उसके बाद नागराज और अंत में जाकर आपको इठारना नीलकंठ महादेव के दर्शन करने को मिलेंगे। मंदिर के अंदर एक बहुत पुराना पीपल का पेड़ स्थित है, जिसकी लोग परिक्रमा करते है और धागा बांधते हैं।

मंदिर के बाहर एक खूबसूरत तालाब स्थित है जो बहुत ही प्राचीन है और इसमें स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। मंदिर चारो ओर से उत्तराखंड के पहाड़ो और पेड़ पौधों से घिरा हुआ है। मंदिर के चारो ओर आपको विभिन्न प्रकार के पेड़ देखने को मिल जायेंगे जो इस मंदिर की खूबसूरती में चार-चाँद लगा देते हैं।

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इठारना महादेव मंदिर की टाइमिंग

इस मंदिर की यात्रा करने से पहले आपको इस मंदिर की टाइमिंग के बारे में जरूर पता होना चाहिए। यह मंदिर सुबह 6 बजे भक्तो के लिए खोल दिया जाता है और रात 8 बजे तक आप इस मंदिर में दर्शन कर सकते हैं।

  • मंदिर टाइमिंग:- सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक

इठारना महादेव मंदिर का प्रसाद

मंदिर के बाहर बहुत सी प्रसाद की दुकाने हैं, जहाँ से आप मंदिर में चढ़ाने के लिए प्रसाद खरीद सकते हैं। इस मंदिर में पंच मेवा के साथ नारियल, और गंगा जल चढ़ाया जाता है। मंदिर के बाहर से आप 50 रुपये से लेकर 201 रुपये तक का प्रसाद खरीद सकते हैं और मंदिर में चढ़ा सकते हैं।

कहाँ रुके?

यदि आप मंदिर के आस पास एक रात रुकना चाहते हैं तो आपको यहाँ पर रुकने के लिए कोई भी गेस्ट हाउस या धर्मशाला नहीं मिलेगी। मंदिर के अंदर आप पुजारी जी से बात करके मंदिर के अंदर एक रात रुक सकते हैं या फिर आप इठारना गांव में रुक सकते हैं। सबसे अच्छा विकल्प यह होता है की आप ऋषिकेश या देहरादून से जल्दी यहाँ की यात्रा शुरू करें और अँधेरा होने से पहले आप वापस ऋषिकेश या देहरादून लौट जाएँ। इसके अलावा आप अपने साथ कैंपिंग का सामान ला सकते हैं और मंदिर के अंदर अपना कैंप लगाकर रुक सकते हैं।

मंदिर के आस-पास खाने की दुकानें

आप जब इठारना महादेव मंदिर आएंगे तो आपको मंदिर के आस-पास कुछ खाने-पीने की दुकाने मिल जाएँगी, जहाँ आप सामान्य नास्ता कर सकते हैं। यहाँ आपको खाने में आलू के पराठे, समोसा, चाउमीन और चाय आदि मिल जाएगी, इसलिए आप आपने साथ कुछ खाने का सामान भी रखे। इसके अलावा यहाँ ऋषिकेश या देहरादून के मुक़ाबले चीजे थोड़ी महंगी मिल सकती हैं।

मंदिर आने का सबसे अच्छा समय

उत्तराखंड की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय आप पर निर्भर करता है कि आपको किस तरह का मौसम पसंद है। यदि हम इस मंदिर तक आने के सबसे अच्छे समय की बात करें तो वो मार्च से जुलाई तक है। इन महीनो में आपको यहाँ का मौसम बिलकुल साफ़ और सुरक्षित के साथ बहुत ही खूबसूरत मिलेगा। इसके अलावा सावन के महीने में यहाँ आना बहुत ही शुभ और अच्छा माना जाता है लेकिन बारिश के कारण यह थोड़ा असुरक्षित हो सकता है।

इठारना महादेव मंदिर कैसे पहुंचे?

यह खूबसूरत मंदिर देहरादून में स्थित है, जो मुख्य देहरादून से 45 किलोमीटर की दूरी पर और ऋषिकेश से 29 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह देहरादून के गाडूल के इठारना में स्थित है, जो सड़कमार्ग द्वारा बहुत ही अच्छे तरीके से जुड़ा हुआ है। नीचे हम आप किन-किन माध्यमों से इस मंदिर तक पहुंच सकते हैं उसके बारे में विस्तार से बता रहे हैं…

हवाईमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?

यह मंदिर उत्तराखंड के खूबसूरत पहाड़ की चोटी पर स्थित है, जिस वजह से यहाँ कोई भी एयरपोर्ट मौजूद नहीं है। इठारना मंदिर के सबसे निकटम एयरपोर्ट जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है, जो देहरादून में स्थित है। यहाँ से मंदिर तक की बाकि की दूरी आपको सड़कमार्ग द्वारा प्राइवेट गाड़ियों की सहायता से पूरी करनी होगी। देहरादून के लिए फ्लाइट आपको देश के बाकि बड़े शहरों से आसानी से मिल जाएँगी।

रेलमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?

यहाँ कोई रेलवे स्टेशन भी मौजूद नहीं है, मंदिर के सबसे निकटम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश रेलवे स्टेशन और देहरादून रेलवे स्टेशन है। ऋषिकेश से आप प्राइवेट गाड़ी बुक करके मंदिर तक पहुंच सकते हैं। ऋषिकेश और देहरादून के लिए ट्रेन आपको दिल्ली, लखनऊ, बरेली और आगरा जैसे शहरों से आसानी से मिल जाएँगी।

सड़कमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?

उत्तराखंड के पहाड़ी इलाको में घूमने और जाने का सबसे अच्छा साधन सड़कमार्ग है। यदि आपके पास अपनी गाड़ी है तो आपको मंदिर तक पहुंचने में कोई भी दिक्कत नहीं होगी।

यदि आप अपने सफर को ऋषिकेश से शुरू करते हैं तो नीचे दिए गए रूट को फॉलो कर सकते हैं…

  • ऋषिकेश – बरकोट माफ़ी – मंकी – गाडूल – इठारना – इठारना महादेव मंदिर

यदि आप देहरादून से अपने सफर को शुरू करते हैं तो आप निम्न रूट को फॉलो कर सकते हैं…

  • देहरादून – हर्रावाला – डोईवाला – रानीपोखरी – भोगपुर – गाडूल – इठारना – इठारना महादेव मंदिर

इसके अलावा आप ऋषिकेश और देहरादून से प्राइवेट गाड़ी बुक करके मंदिर तक पहुंच सकते हैं। यदि आप एक या दो यात्री हैं तो सबसे अच्छा विकल्प होता है की आप स्कूटी या बाइक रेंट पर लें और फिर उसकी सहायता से मंदिर तक पहुचें। यह सबसे बढ़िया और आसान तरीका होता है मंदिर तक पहुंचने का। तो आप इन दोनों विकल्प में से किसी को भी चुन सकते हैं और मंदिर तक पहुंच सकते हैं।

यात्रा से जुड़ी अन्य जानकारी

  • इस मंदिर की यात्रा करने से पहले वहां का मौसम जरूर चेक कर लें।
  • मंदिर के आस-पास रुकने की ज्यादा कोई ठीक व्यवस्था नहीं है तो आप अपनी यात्रा को जल्दी शुरू करें और अँधेरा होने से पहले समाप्त करें।
  • मंदिर के आस-पास कोई अच्छी खाने की दूकान नहीं है तो आप अपने साथ खाने-पीने का सामान भी रखे।

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