युल्ला कांडा मंदिर ट्रेक | विश्व का सबसे ऊंचाई पर स्थित श्री कृष्ण मंदिर ट्रेक की जानकारी

जब भी हम श्री कृष्ण के मंदिरो की बात करते हैं तो हमे सीधे उत्तर प्रदेश के मथुरा वृन्दावन की याद आती है। जहाँ भगवान कृष्ण के सबसे ज्यादा मंदिर बने हुए हैं, लेकिन यह बहुत ही कम लोगो को पता होगा की भगवान श्री कृष्ण एक ऐसा भी मंदिर है, जो विश्व में सबसे ज्यादा ऊंचाई पर और झील के बीच में स्थित है। जी हाँ! हम बात कर रहे है हिमांचल में स्थित श्री कृष्ण के “युल्ला कांडा मंदिर” के बारे में, जो 12000 फीट की ऊंचाई पर झील के बीच में स्थित है। यह मंदिर हिमांचल के किन्नौर जिले में रेकोंग पीओ से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

इस ब्लॉग में हम युल्ला कांडा मंदिर और इस मंदिर तक पहुंचने वाले ट्रेक के बारे में जानेंगे। आप किस तरह से इस मंदिर तक पहुंच सकते हैं और किस प्रकार युल्ला कांडा मंदिर ट्रेक कर सकते हैं, इन सभी बातों को हम इस ब्लॉग में विस्तार से जानेंगे। तो ब्लॉग को ध्यान से अंत तक जरूर पढ़े…

युल्ला कांडा मंदिर कैसे पहुंचे?

युल्ला कांडा मंदिर हिमांचल प्रदेश के किन्नौर जिले में युल्ला खास गांव के पास स्थित है। इस मंदिर तक आप कैसे और किन-किन माध्यमों से पहुंच सकते हैं, इसके बारे में हम नीचे विस्तार से बता रहे हैं…

सड़कमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?

हिमांचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रो में पहुंचने का सबसे अच्छा और सरल साधन सड़कमार्ग है। युल्ला कांडा मंदिर तक पहुंचने के लिए आप सबसे पहले हिमांचल के शिमला शहर पहुंचे। शिमला के लिए बसे आपको दिल्ली, चंडीगढ़ और आगरा जैसे शहरों से आसानी से मिल जाएँगी। शिमला से आपको सुबह और रात में रेकोंग पीओ (Recong Peo) की बस मिल जाएगी, जो आपको 5 से 6 घंटे में टापरी से कुछ किलोमीटर आगे शिलॉन्ग ब्रिज पर उतार देगी और फिर वहां से आप किसी गाड़ी की लिफ्ट लेकर या फिर पैदल ही युल्ला खास गांव तक पहुंच सकते हैं।

सबसे आसान और बढ़िया तरीका है की आप शिमला से रात 11 से 12 बजे वाली बस से रेकोंग पीओ की लिए निकल जाए, जो आपको सुबह 6 से 7 बजे तक शिलॉन्ग ब्रिज पर उतार देगी। उसके बाद वहां से आप सुबह 8 या 9 बजे वाली बस से युल्ला खास गांव तक पहुंच जाए। यह सबसे आसान और सरल तरीका है, जिसमे आपको किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होगी।

अपने वाहन द्वारा कैसे पहुंचे?

यदि आप युल्ला कांडा तक अपने वाहन से आते हैं तो नीचे दिए गए रूट को फॉलो कर सकते हैं…

  • दिल्ली – शिमला – नारकंडा – रामपुर बुशहर – टापरी – युल्ला खास गांव – युल्ला कांडा मंदिर

इस रूट को कम्पलीट करने में आपको कम से कम 600 किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी और इस दूरी को तय करने में आपको कम से कम 13 से 14 घंटो का समय लगेगा। इसके अलावा यहाँ तक पहुंचने का दूसरा विकल्प भी मौजूद है जो यह है की आप दिल्ली से शिमला की जर्नी ट्रेन द्वारा और फिर वहां से प्राइवेट टैक्सी या कार द्वारा बाकि की जर्नी पूरी कर सकते हैं।

रेलमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?

यदि आप युल्ला खास गांव तक ट्रेन द्वारा आने की सोच रहे हैं तो यहाँ कोई भी रेलवे स्टेशन नहीं है। युल्ला खास गांव के सबसे निकट रेलवे स्टेशन शिमला रेलवे स्टेशन है, जो युल्ला खास गांव से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। शिमला से युल्ला खास की बाकि की दूरी आपको सड़कमार्ग द्वारा पूरी करनी होगी। शिमला के लिए ट्रेने आपको दिल्ली, चंडीगढ़ और लखनऊ जैसे बड़े शहरों से आसानी से मिल जाएँगी। इसके अलावा आप चंडीगढ़ से भी युल्ला खास गांव तक पहुंच सकते हैं। यहाँ से भी रेकोंग पीओ के लिए बस उपलब्ध हैं।

हवाईमार्ग द्वारा कैसे पहुंचे?

युल्ला खास में कोई भी एयरपोर्ट नहीं है इसके सबसे नजदीक एयरपोर्ट शिमला एयरपोर्ट है जो युल्ला खास गांव से 230 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके अलावा कुल्लू का भुंतर एयरपोर्ट और चंडीगढ़ एयरपोर्ट का विकल्प भी उपलब्ध है।

युल्ला कांडा मंदिर का इतिहास

युल्ला कांडा मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है और इसका संबंध महाभारत काल से जोड़ा जाता है। ऐसा माना जाता है की इस मंदिर को झील के बीच में पांडवो ने अपने वनवास के दौरान बनाया था, लेकिन यह मंदिर प्रसिद्ध तब हुआ जब बुशहर रियासत के राजाओ द्वारा यहाँ पर जन्माष्टमी में मेले का आयोजन कराया गया। जन्माष्टमी मेले के दौरान युल्ला खास और इसके आस पास के सभी गांव के लोग इकठ्ठा होते थे और बड़े ही धूम-धाम से मेले का आयोजन किया करते थे। यह परम्परा तब से लेकर अब तक चली आ रही है और हर साल जन्माष्टमी पर झील के चारो ओर मेले का आयोजन किया जाता है।

युल्ला कांडा मंदिर से जुड़ी मान्यता और चमत्कार

इस मंदिर से जुड़ी भावना और आस्था ही लोगो को इस मंदिर तक ले आती है। इसके साथ ही यहाँ होने वाली कुछ चमत्कारी घटनाओ से लोगो का विश्वास और भी ज्यादा मजबूत होता जाता है। हिमांचल प्रदेश में हिमाचली टोपी का बहुत अधिक महत्व है और इस मंदिर से जुड़ी चमत्कारी घटना भी इसी हिमांचली टोपी से सम्बंधित है।

मंदिर के आस पास स्थित गांव के लोगो का मानना है की इस मंदिर की झील में हिमांचली टोपी को एक तरफ से दूसरी तरफ बहाया जाता है और यदि टोपी बिना पलटे एक ओर से दूसरी ओर चली जाए तो आपके आने वाले साल बहुत ही खुशहाल होंगे और यदि टोपी झील में पलट या फिर डूब जाती है तो आपके आने वाले साल बहुत ही ख़राब और कष्टदायी होंगे। इस बात की बहुत अधिक मान्यता है और बहुत अधिक विश्वास है, जिससे हर साल हजारो लोग जन्माष्टमी के दौरान अपनी टोपी को झील में बहाते हैं।

युल्ला कांडा मंदिर ट्रेक जानकारी

इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको 12 किलोमीटर लम्बा ट्रेक करना होगा। जो युल्ला खास गांव से शुरू होता है। नीचे हम एक छोटी से तालिका प्रदर्शित कर रहे हैं जिसमे इस ट्रेक से सम्बंधित सभी छोटी से छोटी जानकारी मौजूद है…

यह ट्रेक युल्ला खास गांव से शुरू होता है जिसकी पूरी लम्बाई लगभग 12 किलोमीटर है। इस 12 किलोमीटर लम्बे ट्रेक को आप 4 से 5 घण्टे में पूरा कर लोगे, जिसमे शुरू के 6 किलोमीटर सीधा रास्ता है जो पाइन के जंगल से होकर जाता है और बाकि के 6 किलोमीटर में आपको पत्थरो पर चढ़ाई का सामना करना होता है।

इस ट्रेक में आप अधिकतम 12500 फीट तक ऊंचाई पर चढ़ते हैं, जहाँ पर यह मंदिर स्थित है। इस ट्रेक को सामान्य से मध्यम केटेगरी में रखा गया है। इस ट्रेक को करते समय आप अपने साथ एक गाइड रख सकते हैं जो आपको मंदिर तक पहुंचने में सहायता करेगा क्योंकि इस ट्रेक का रास्ता थोड़ा मुश्किल है और काफी जगहों पर रास्ते बटे हुए हैं। रास्ते बटे होने के कारण आपको मंदिर का रास्ता चुनने में दिक्कत हो सकती है इसलिए आप युल्ला खास गांव से एक गाइड अपने साथ ले जा सकते हैं।

युल्ला कांडा मंदिर ट्रेक करने का सबसे अच्छा समय

इस ट्रेक को करने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से जुलाई के बीच का है। इस समय में यहाँ का मौसम साफ़ और काफी सुहावना रहता है और इस समय में आपको किसी गाइड की भी आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि इस समय में और भी बहुत से लोग इस ट्रेक को करते हैं।

इसके अलावा आप सर्दियों में नवंबर से जनवरी के बीच भी इस ट्रेक को कर सकते हैं, लेकिन इस समय अधिक बर्फवारी के कारण रास्ता बर्फ से ढक जाता है. जिससे रास्ता चुनने में दिक्कत होती है इसलिए इस समय में आप अपने साथ स्थानीय गाइड जरूर रखे। इसके अलावा हो सके तो आप जन्माष्टमी के दौरान भी इस मंदिर में आ सकते हैं। इस दौरान यहाँ पर एक मेले का आयोजन किया जाता है और यहाँ के स्थानीय लोग अपने स्थानीय भाषा में भजन कीर्तन करते हैं और भगवान कृष्ण का जन्म उत्सव मनाते हैं।

युल्ला कांडा में गेस्ट हाउस और खाना

युल्ला कांडा मंदिर के आस पास कोई भी रुकने की व्यवस्था नहीं है लेकिन युल्ला खास गांव में रुकने के लिए बहुत से होम स्टे और गेस्ट हाउस बने हुए हैं, जहाँ आप रुक सकते हैं। इन गेस्ट हाउस में 500 से 1000 रुपये प्रति दिन के हिसाब से आपको रूम मिल जायेंगे। इसके साथ ही इन होम स्टे में आपको खाना भी मिल जायेगा, जिसका आपको अलग से चार्ज देना होगा। जो 150 से 200 रुपये प्रति थाली के हिसाब से हो सकता है।

कैंपिंग

युल्ला कांडा मंदिर के आस पास या फिर ट्रेक के बीच में आप कैंपिंग भी कर सकते हैं। कैंपिंग का सारा सामान आपको खुद लाना होगा, क्योंकि यहाँ पर आपको जल्दी कैंपिंग का कोई भी सामान नहीं मिलेगा और यदि मिलेगा भी तो बहुत महंगा होगा। कैंपिंग करने के लिए आपको किसी भी तरह कि कोई परमिशन की जरुरत नहीं है लेकिन आप एक बार स्थानीय लोगो से कैंपिंग की सही जगह के बारे में पूछ सकते हैं।

ट्रेक ट्रेवल टिप्स

  • इस ट्रेक को करते समय आप अपने साथ खाने-पीने की चीजे जरूर रखे क्योंकि ट्रेक के बीच में पानी के स्रोत के अलावा कोई भी दूकान नहीं मिलेगी।
  • ट्रेक में आप एक गाइड साथ रख सकते हैं क्यों कि इस ट्रेक का रास्ता थोड़ा मुश्किल है।
  • यहाँ की स्थानीय मान्यताओं का ख्याल रखें और ट्रेक के बीच में किसी भी तरह की गन्दगी न फैलाये।
  • यदि आप कैंपिंग करना चाहते हैं तो अपने साथ सारा कैंपिंग का सामान रखे।
  • ट्रेक के बीच-बीच में हाइड्रेट होते रहें और अपनी गति से ही इस ट्रेक को करें।
  • इस ट्रेक को सुबह जल्दी ही शुरू कर दें जिससे आप शाम तक वापस युल्ला खास विलेज तक आ सकें।

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